ब्यूरो,
अल्पसंख्यक हिंदू और सिख समुदायों को आतंकित करने के उद्देश्य से कश्मीर घाटी में पाकिस्तान द्वारा भड़काए गए हिंसा का मुकाबला करने के लिए केंद्र सरकार कठोर कार्रवाई करने के लिए तैयार है। इस महीने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के स्थानीय मोर्चों द्वारा पांच निर्दोषों की श्रीनगर में हत्या कर दी गई।
खुफिया एजेंसियों और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की चार आतंकवाद-रोधी और खुफिया टीमें श्रीनगर में मौजूद हैं। इन आतंकी मॉड्यूल को पिन-पॉइंट एक्शन के जरिए खत्म करने के कड़े निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, विद्रोह रोधी बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को श्रीनगर में अपनी कमर कसने के लिए कहा गया है। साथ ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को सीमा पार से घुसपैठ रोकने के लिए कहा गया है।
शुक्रवार की रात, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर के नाटीपोरा इलाके में एक मुठभेड़ में शोपियां के लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी आकिब बशीर को मार गिराया। शव के पास से एक एके-47 राइफल और दो मैगजीन बरामद की गईं। एक अन्य आतंकवादी, जिसे पाकिस्तानी नागरिक कहा जाता है, मुठभेड़ स्थल से भागने में सफल रहा।
कश्मीरी पंडित फार्मासिस्ट माखन लाल बिंदू, स्कूल की प्रिंसिपल सुपिंदर कौर, स्कूली शिक्षक दीपक चंद और बिहार के एक फेरीवाले वीरेंद्र पासवान की हत्या के बाद, सुरक्षा बल नए खतरे को बेअसर करने के लिए श्रीनगर शहर को स्कैन कर रहे हैं। केंद्र सरकार इसको लेकर स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, तीन स्थानीय मॉड्यूल, लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादी, तथाकथित प्रतिरोध बल, श्रीनगर में काम कर रहे हैं। छोटे हथियारों से निर्दोष लोगों को निशाना बना रहे हैं। अधिकारी एक पाकिस्तानी नागरिक की मौजूदगी की पुष्टि करते हैं जो लक्ष्यों का चयन करके हमलों का मार्गदर्शन कर रहा है।
7 अक्टूबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के बाद, केंद्र ने फैसला किया है कि उसकी पहली प्राथमिकता अपराधियों को खत्म करना और फिर उनके प्रायोजकों के खिलाफ कार्रवाई करना है।