ब्यूरो नेटवर्क
तो क्या भाजपा फिर दे सकती है कांग्रेस को झटका, यह है बीजेपी का उत्तराखंड में प्लान
भाजपा फिर कांग्रेस को एक झटका देने की फिराक में है। यदि सब कुछ पार्टी के हिसाब से चला तो जल्द यह विधायक भाजपा का दामन थाम सकते हैं। भाजपाई सूत्रों का कहना है कि जल्द कांग्रेस के एक-दो विधायकों की भाजपा में इंट्री हो सकती है। इनसे प्रारंभिक बात भी हो चुकी है। ये विधायक उन विधान सभा क्षेत्रों के बताए जा रहे हैं, जहां भाजपा के सिटिंग विधायकों की स्थिति ठीक नहीं है।
भाजपा रणनीति को इस तरह से अंजाम दे रही है, जिससे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में हत्तोसाहित की भावना पैदा हो और चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सके। माना जा रहा है कि अगले सात-आठ दिन के भीतर यह विधायक पाला बदल सकता है। उधर,भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि भाजपा की नीतियों और विकास के एजेंडे से प्रभावित होकर यदि कोई विधायक या नेता उनकी पार्टी में शामिल होना चाहता है तो ऐसे लोगों का स्वागत है।
चुनावी साल में विधायक राजकुमार के भाजपा में शामिल हो जाने से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद केवल 10 विधायकों पर सिमटी कांग्रेस अब घटकर इकाई के अंक पर आ गई है। सू्त्रों के अनुसार राजकुमार पिछले कई दिनों से नाराज बताए जा रहे थे, कांग्रेस के सभी शीर्ष नेताओं को इसके संकेत मिल चुके थे, लेकिर वर्चस्व की लड़ाई में फंसे नेताओं ने बेहतर प्रबंधन की कोशिश नहीं की।
इस मामले में पूर्व सीएम व कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत का कहना है कि राजकुमार हमारे साथी थे जाने का दुख तो होता ही है। जिस वक्त वो कहीं पर भी नहीं थे, उस वक्त कांग्रेस ने उन्हें सम्मान दिया। बहरहाल, उनके जाने से हमारी पुरोला सीट पर जीत जरूर पक्की हो गई है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि कांग्रेस राजकुमार जी का पूरा सम्मान करती थी। पुरोला क्षेत्र में बेहद कमजोर स्थिति के बावजूद पार्टी ने तय किया था कि इस चुनाव में उन्हें ही टिकट दिया जाएगा। इसके बावजूद उनका चला जाने के सवाल का जवाब वो ही दे सकते हैं। राजीव भवन में मीडिया के साथ बातचीत में गोदियाल ने कहा कि केवल राजकुमार ही थे जो चले गए, बाकी एक भी व्यक्ति कांग्रेस से नहीं जा रहा है। गोदियाल ने संकेत देते हुए कहा कि भाजपा ने दलबदल की शुरूआत कर दी है। कांग्रेस के संपर्क में भी तमाम विधायक और भाजपा नेता हैं। लेकिन कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं की कीमत पर किसी को स्वीकार नहीं करेगी।
हरीश रावत: रावत के सीएम रहते वर्ष 2016 में भी पार्टी में बड़ा विभाजन हुआ था। नौ विधायक एक साथ ही चले गए थे। दो विधायकों ने बाद में नाता तोड़ लिया था। चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष होने के नाते रावत से उम्मीद थी कि पार्टी को एकजुट होकर रखेंगे।
गणेश गोदियाल: कांग्रेस हाईकमान ने चुनावी साल में गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। गोदियाल से उम्मीद है कि वो पूरी पार्टी को एकजुट कर चलेंगे और युवा नेतृत्व के रूप में नया जोश भरेंगे। मुखिया के रूप में वो चूक गए और दलदबल रोक न पाए?
प्रीतम सिंह: पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की अहम जिम्मेदारी उठाने वाले प्रीतम भी राजकुमार की नाराजगी नहीं भांप पाए। मानसून सत्र में पुरोला को जिला बनाने के मुद्दे पर उन्होंने राजकुमार की आवाज को बुलंद भी किया था, लेकिन पार्टी में रोक नहीं पाए।