ब्यूरो,
भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति की स्थानांतरण नीति ने उड़ाई धज्जियाँ
उत्तर प्रदेश के पिछले भाग बुंदेलखंड के गौरवशाली नगर झांसी का वृतांत है प्रदेश के नगर निगम में बुंदेलखंड क्षेत्र में अकेला नगर निगम झांसी है जिस पर नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने का महत्वपूर्ण दायित्व है
समाचार पत्र जिनके लेख पत्र के साथ संलग्न किए जा रहे हैं किस आधार यह ध्वनित है की प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के लिए जिस जीरो टॉलरेंस नीति को बल दे रही है उसे प्रशासकीय और ठेकेदारों के गठजोड़ ने किस प्रकार तार-तार कर दिया है माह फरवरी में नगर निगम आगरा से नगर निगम झांसी स्थानांतरित होकर आए अधिकारी को महज 5 माह में ही स्थानांतरित कर दिया गया समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरें कितनी सत्य है यह सर्वविदित है घर-घर से कूड़ा उठाने के मामले में नगर निगम झांसी के वित्तीय दूषण के प्रमुख कारक हैं इसके साथ ही डीजल, शेल्टर होम का संचालन
आउटसोर्स कर्मियों के नाम पर अनियमित लाभ लेने में कार्यदाई संस्थाएं अग्रणी है संबंधित अधिकारी द्वारा पदीय दायित्वों का निर्वहन करते हुए वित्तीय नियंत्रण करने का प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय था परंतु प्रशासनिक मनमानापन का रवैया अपनाते हुए किसी अन्य विभाग के अधिकारी को पदस्थ करना और स्थानांतरण नीति की आड़ लेकर मात्र 5 महीने बाद ही स्थानांतरण कर दिया जाना शासन के उच्च पदस्थ नियंत्रण कर्ताओं के ऊपर प्रश्न लगाता है समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर नगर निगम झांसी के कार्यकलापों की विशेष जांच समिति द्वारा जांच की जाए क्योंकि अधिकारी पर नियंत्रण एवं अंततोगत्वा स्थानांतरण गंभीर अनियमितता गणित करता है बल्कि पुष्टि भी करता है