तिब्बती बौद्ध गुरु गेशे दोरजी दामदुल से भारत में मिल अमेरिका ने चीन को चिढ़ाया

ब्यूरो,

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भारत दौरे पर हैं। दौरे पर उन्होंने नागरिक समाज के नेताओं से भी मुलाकात की। इनमें से एक तिब्बती बौद्ध गुरु भी शामिल थे जिनको लेकर बहुत बात हो रही है। आइए जानते हैं कौन हैं ये तिब्बती बौद्ध गुरु जिन्होंने एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की है।

तिब्बती बौद्ध गुरु वेन गेशे दोरजी दामदुल मौजूदा वक्त में तिब्बत हाउस, नई दिल्ली, दलाई लामा सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक हैं। इसकी स्थापना 1965 में दलाई लामा ने तिब्बत की अनूठी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रसार के लिए की थी। दामदुल 1988 में बौद्ध तर्कशास्त्र, दर्शन और ज्ञानमीमांसा में औपचारिक अध्ययन के लिए बौद्ध डायलेक्टिक्स संस्थान, धर्मशाला से जुड़े थे। बौद्ध दर्शन में 15 सालों के अध्ययन के बाद उन्होंने डेपुंग लोसेलिंग मठ विश्वविद्यालय से गेशे ल्हारम्पा डिग्री (पीएचडी) पूरी की। 2003 में दलाई लामा ऑफिस ने उन्हें अंग्रेजी अध्ययन के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी भेजा था।

2005 से दामदुल दलाई लामा के आधिकारिक अनुवादक के रूप में नियुक्त हैं। इसके साथ ही वह कई तिब्बती ग्रंथों का अंग्रेजी अनुवाद कर चुके हैं। मार्च 2011 से दामदुल तिब्बत हाउस, नई दिल्ली, दलाई लामा सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक हैं। दामदुल बौद्ध धर्म और दर्शन से जुड़े कई किताब और पेपर्स लिख चुके हैं। दुनियाभर के कई यूनिवर्सिटी में वह दर्शन पढ़ाने जाते हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन का भारत दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब भारत-चीन और अमेरिका-चीन के बीच संबंध खराब हैं। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में स्टैंड-ऑफ जारी है और अमेरिका कई मंचों से तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे को उठाता रहा है। तिब्बत की निर्वासित सरकार भारत से ही चल रही है। ऐसे में एक्सपर्ट्स इस मुलाकात को चीन को एक मेसेज देने की तरह से देख रहे हैं। तिब्बत को चीन का अभिन्न अंग मानने वाला बीजिंग इस बैठक से चिढ़ सकता है। बता दें कि 1959 में चीनी सैनिकों ने तिब्बत पर कब्जा कर बाद में इसे चीन के साथ जोड़ लिया था।

इस महीने की शुरुआत में, पेंसिल्वेनिया से अमेरिकी कांग्रेसी रिपब्लिकन सांसद स्कॉट पेरी ने अमेरिकी कांग्रेस में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से तिब्बत को एक स्वतंत्र देश घोषित करने की अपील की गई थी। इस बिल ने तिब्बत के तीनों प्रांतों को एक अलग और स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी है।

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