बकरीद 2021: कोरोना काल में कुर्बानी को खरीदारी भी ऑनलाइन, ऐसे बिक रहे बकरे

ब्यूरो,

बकरीद के मौके पर इस साल फिर से बकरा मंडी में मायूसी दिख रही है. कोरोना का असर मंडी में साफ नजर आ रहा है. मंडी में बकरों की संख्या और नस्ल में कमी दिख रही है. वहीं लोग बकरीद के मौके पर ऑनलाइन बकरे की खरीद में दिलचस्पी दिखा रहें हैं. लोग पशु डॉट कॉम, ओएलएक्स, क्विकर आदि जैसे ऑनलाइन माध्यम से पशु पसंद कर खरीद बिक्री कर रहे.

कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष लोग बकरीद के मौके पर बकरों की खरीद-बिक्री ऑनलाइन माध्यम से कर रहें हैं. लोग अलग-अलग ऑनलाइन माध्यम में जा कर बकरीद के लिए पशुओं को पसंद कर रहे. बेचने वाले भी अपने पशुओं की तस्वीर के साथ कीमत और अन्य डिटेल्स ऑनलाइन खरीद बिक्री साइट पर डाल कर पशुओं को बेच रहें हैं. वहीं राजधानी शहर लखनऊ में कुछ पशु व्यापारी व्हाट्सएप पर अलग-अलग ग्रुप बनाकर अलग-अलग किस्म और नस्लों के जानवरों की तस्वीर डाल कर खरीदारों तक पहुंच बनाकर व्यापार कर रहे हैं. एक पशु व्यापारी अहसान बताते हैं कि कोरोना को ध्यान में रखते हुए हमने सोशल मीडिया पर अलग-अलग ग्रुप बनाए हैं. जिसमें जानवरों के फोटो साथ उसके बारे में सभी जानकारियां डाल दी जाती है. जिसके बाद जो भी ग्राहक जो जानवर पसंद करता है उसे हम वीडियो कॉलिंग के जरिए उन्हें जानवर दिखा दिया जाता है.

इन सब के साथ बकरा बेचने वाले व्यापारी ऑनलाइन माध्यम में अपना पता भी डाल रहें हैं. ताकि ग्राहक उन तक पहुंच कर बकरे को देख पसंद कर सकें. ऑनलाइन माध्यम से खरीदा गया बकरा, डिलीवरी के बाद अगर ग्राहक को पसंद नही आता है तो इसके लिए ग्राहक को पुरे पैसे लौटा देने की भी सुविधा दी गई है. ग्राहक व्यापारियों को खरीद पर ऑनलाइन या कैश दोनों माध्यमों में पे कर सकते हैं. इसके साथ ही साथ कई वेबसाइट पर ऑनलाइन कुर्बानी का हिस्सा भी लिया जा सकता है. शहर में कई जगह लोग 2-3 हजार दे कर कुर्बानी में हिस्सा भी लेते हैं. जिसके लिए लोग अलग-अलग जगह कैंप भी लगाते हैं. दान देने के लिए भी बहुत सारे लोग आगे आए हैं.

वहीं ऐशबाग ईदगाह के मौलाना खालिद रशीद फरंगी ने कुर्बानी को लेकर बोला है कि जिन लोगों के पास पैसे की तंगी है उनपर कुर्बानी वाजिब नहीं है और जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है वो लोग नफिल कुर्बानी ना कर गरीबों में पैसा दान दें. दूसरी तरफ शिया मौलाना अब्बास ने भी कहा है कि कुर्बानी का मामला नियत से होता है. अगर किसी के पास पैसा नहीं है तो कुर्बानी वाजिब नहीं है.

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