लखीमपुर से लखनऊ वापस पहुंचीं प्रियंका गांधी, जाएंगी पीसीसी दफ्तर

ब्यूरो,

विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में जान फूंकने के लिए अपने दो दिवसीय दौरे पर यूपी आईं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लखनऊ से लखीमपुर खीरी पहुंची है। हां वह जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान अभद्रता का शिकार हुईं महिलाओं से मिलकर बातचीत कीं। इससे पहले मौन कल उन्होंने लखनऊ पहुंचने के साथ ही मौन रह कर विरोध किया फिर सरकार पर हमला बोला, कहा कि संविधान व लोकतंत्र का चीरहरण हो रहा है और हम लोकतंत्र बचाने आए हैं। जनता के पक्ष में बात करने आए हैं। लगभग डेढ़ साल बाद लखनऊ पहुंची प्रियंका गांधी जीपीओ में गांधी प्रतिमा के नीचे अप्रत्याशित तरीके से मौन व्रत धारण करते हुए धरने पर बैठ गईं। अपनी नेता का धरने पर बैठना था कि पार्टी कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए।

-लखनऊ वापस पहुंचीं प्रियंका। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के घर लंच करने के बाद pcc आएंगी। यहां कांग्रेस सेवादल के लोगों का जमावड़ा

– मीडिया से बातचीत में प्रियंका ने कहा कि चुनाव लड़ने का लोकतांत्रिक अधिकार छीने गए हैं।  प्रियंका ने कहा कि वो महिलाएं मेरी बहन हैं, मैं अपनी बहनों से मिलने आई हूं। प्रियंका ने पसगवां ब्लॉक प्रमुख का चुनाव रद करने की मांग की।

-पसगवां कांड की पीड़िताओं से मिलकर प्रियंका गांधी ने प्रदेश सरकार को घेरा

– प्रियंका ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन चुनावों में जीत की तारीफ की, जहां हिंसा हुई और बम चले।

– प्रियंका 20 मिनट तक पसगवां कांड की पीड़िताओं से बात की

– पसगवां में पुलिस और मीडिया का जमावड़ा लगा। 

– कांग्रेस प्रवक्ता सुधांशु वाजपेयी पसगवां पहुंचे। 

लखीमपुर में उनका काफिला सीधे पसगवां आएगा, यहां वह सपा नेता क्रांति कुमार के घर जाएंगी।

सीएम के साथ पीएम पर भी साधा निशााना: 

नाटकीय घटनाक्रम के बाद वह शाम 5.30 बजे कांग्रेस मुख्यालय पहुंची प्रियंका गांधी ने पत्रकारों से बात करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में कल दो बातें कहीं। पहला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कोरोना की दूसरी लहर में बहुत अच्छा काम करने का प्रमाण पत्र दिया और यह भी कहा कि यूपी में अब विकासवाद है। यह कैसा विकासवाद है जब कोरोना की दूसरी लहर थी तब पंचायत चुनाव करवाए गए। उस समय कितनी ज्यादा मौतें हो गईं। कैसी व्यवस्था थी, आप जानते हैं। लेकिन आपने चुनाव कराए क्योंकि आपको लगा था कि परिणाम आपके पक्ष मे आएगा। लेकिन परिणाम आपकी इच्छानुसार नहीं आए। जब जिला पंचायत और ब्लाक प्रमुख के चुनाव हुए तो आपने हिंसा फैला दी। प्रशासन व पुलिस उम्मीदवार का अपरहण कर रहे हैं,  महिलाओं के वस्त्र खींच रहे हैं, कही बम फट रहे हैं, गोलियां चल रही हैं। क्या सोच रहे थे आप कि जनता चुप रहेगी? कोई कुछ नहीं करेगा?  संविधान और लोकतंत्र पर वार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को दिख नहीं रहा है कि यूपी में महिलाएं असुरक्षित हैं। लगभग दो घण्टे मौन धरने पर बैठी प्रियंका अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने में सफल रही। उधर, कांग्रेस मुख्यालय पर लगातार एनाउंसमेंट होता रहा कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में जीपीओ पर पहुंचे। बैठक का इंतजार कर रहे जिला व शहर अध्यक्ष नारे लगाते हुए जीपीओ की तरफ कूच कर गए। इससे पहले वह लगभग 1.10 मिनट पर लखनऊ पहुंची और कई जगह स्वागत समारोह उनके साथ धरने पर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू व विधानमण्डल दल की अध्यक्ष आराधना मिश्र मोना भी बैठी। उनके स्वागत के लिए मुख्यालय पर वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया, प्रमोद तिवारी, प्रदीप माथुर, दीपक सिंह, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, सुरेन्द्र सिंह, बेगम नूर बानो, अजय राय,  प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल, बृजेन्द्र सिंह, द्विजेन्द्र अवस्थी, अशोक सिंह, ओंकार पाण्डेय आदि मौजूद रहे।  

इससे पहले भी प्रियंका अपने तय कार्यकम को बदल प्रशासन को चकमा देती रही हैं। इससे पहले दिसम्बर 2019 में वो मुख्यालय पर बैठक करने के बजाय एक रेप पीड़िता की मौत के बाद उन्नाव चली गई। इसी तरह सामाजिक कार्यकर्ता एसआर दारापुरी से मिलने से प्रशासन ने उन्हें लखनऊ के लोहिया पथ पर उन्हें रोका तो कुछ देर तक वह पैदल चली लेकिन फिर वह पुलिस प्रशासन को चकमा देते हुए अपने कार्यकर्ता की स्कूटी के पीछे बैठकर दारापुरी से मिलने पहुंच गई थीं।
 

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