ब्यूरो,
लखनऊ विकास प्राधिकरण का जमीन आवंटन को लेकर एक बड़ा झोल सामने आया है. एलडीए जिसे अपनी जमीन बताकर एयरपोर्ट फ्लाईओवर का काम रोक रहा था. वह जमीन एलडीए नहीं बल्कि सरकारी है. तालाब, श्मशान घाट, मंदिर, छठ पूजा बेदी और पुराने बरगद के पेड़ की जमीन को प्लॉट में बदलकर उन्हें आवंटित किया गया था. इसका खुलासा 12 जुलाई को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में हुआ है. जमीन एलडीए की नहीं थी इसके बावजूद सेतु निगम से वह मुआवजे के रूप में 39.28 करोड़ रुपए की डिमांड कर रहा था. मामले का खुलासा होने के बाद मुख्य सचिव ने राजस्व परिषद से इसकी जांच कराने का आदेश दिया है.
एयरपोर्ट फ्लाईओवर जिस रास्ते से प्लान्ड है वहां विकास प्राधिकरण के 14 आवसीय और एक ग्रुप हाउसिंग का प्लॉट आ रहा है. एलडीए का कहना था कि ये प्लॉट लोगों को आवंटित कर दिए गए हैं. इसी जमीन को लेकर सेतुनिगम से एलडीए 39 करोड़ का मुआवजा मांग रहा था. सेतुनिगम मुआवजा देने के लिए तैयार नहीं था जिसके कारण फ्लाईओवर का काम रुका था. फ्लाईओवर के काम को जल्द पूरा करने के लिए 12 जुलाई को उच्च स्तरीय मीटिंग की गई जिसमें कई ऐसे तथ्य सामने आए जिन्होनें साफ किया कि एलडीए जिसे अपनी जमीन बता रहा है वह उसकी नहीं है.
एलडीए अबतक जिस जमीन के लिए सबसे ज्यादा मुआवजा मांग रहा था वह जमीन श्मशान घाट की है. इस बात का खुलासा 31 दिसंबर 2018 को सरोजनी नगर के एसडीएम की एक सर्वे रिपोर्ट से हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार एसडीएम सरोजनी नगर ने साफ लिखा है कि एलडीए जिसे अपना प्लॉट बता रहा है वह जमीन मंदिर, तालाब, छठ पूजा बेदी, पुराने बरगद के पेड़ और श्मशान घाट की है. भूखंड संख्या 62, 63, 64, 65, 72, 73, 74 व 75 ये एलडीए की नहीं हैं.
एलडीए का खेल सामने आने के बाद मुख्य सचिव ने नाराजगी जताते हुए इसकी जांच बोर्ड ऑफ रेवेन्यू को सौंप दी है. बोर्ड ऑफ रेवेन्यू की जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी. वहीं सेतु निगम को अपना काम आगे बढ़ाने के निर्देश मुख्य सचिव ने दिए हैं. बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ये जांच करेगा कि सरोजनी नगर के एसडीएम की रिपोर्ट में कितनी सच्चाई है. सेतु निगम के इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. विस्तृत सर्वे कराए, जमीन की सही स्थिति और मुआवजे का आंकलन करे बिना डीपीआर तैयार करने को लेकर मुख्य सचिव ने नाराजगी जताई है.
जिलाधिकारी और एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश का कहना है कि एसडीएम सरोजनी नहर की जांच रिपोर्ट में जिस जमीन को तालाब की जमीन बताया गया है. वह जलभराव वाली जगह होने के कारण तालाब में दर्ज हुई है. पुराने डॉक्यूमेंट्स में तालाब नहीं हैं. सेतु निगम को फ्लाईओवर के काम के लिए एलडीए ने कभी नहीं रोका है. वह निर्माण कार्य कर सकता है.