तीरथ सिंह रावत के बाद कौन होगा उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री? महाराज या फिर कोई रावत ही…

उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा,उसकी तस्वीर शनिवार को भाजपा विधायक दल की बैठक में साफ होगी। अभी तक के सियासी समीकरणों के हिसाब से विधायकों में से ही मुख्यमंत्री तय किया जाएगा। इसमें सबसे प्रबल दावेदार के रूप में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का नाम शुमार किया जा रहा है। हालांकि, विधायक धन सिंह रावत, पुष्कर सिंह धामी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का नाम भी चर्चाओं है। मुख्यमंत्री तीरथ रावत शुक्रवार शाम को दिल्ली के तीन दिवसीय दौरे से लौटे। रात पौने दस बजे उन्होंने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से रूबरू होकर अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं। सीएम बदलने की चर्चाओं के बारे में पूछने पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और सीधे चल गए।

इस बीच, माना जा रहा है कि जातीय और क्षेत्रीय समीकरण के हिसाब से महाराज राज्य के नए मुख्यमंत्री बन सकते हैं। चूंकि, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ब्राह्मण हैं तो फिर जातिगत समीकरण साधने के लिए ठाकुर नेता को ही सीएम बनाए जाने की सबसे ज्यादा संभावना है। सूत्रों ने बताया कि भाजपा में शामिल होने के बाद महाराज ने संघ और हाईकमान के नेताओं पर विश्वास कायम किया है। यहां तक की लोकसभा व कई प्रदेशों में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें प्रचार अभियान की भी जिम्मेदारी सौंपी।महाराज के अतिरिक्त अन्य दावेदारों में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल के साथ युवा चेहरों के रूप में राज्यमंत्री धनसिंह रावत और विधायक पुष्कर सिंह धामी के नाम की भी चर्चाएं हैं।

कुछ लोग पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के नाम के भी कयास लगा रहे हैं। उधर, भाजपा ने शनिवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है। प्रांतीय मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की अध्यक्षता में अपराह्न तीन बजे यह बैठक बलवीर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय में होगी। पार्टी ने सभी मंत्रियों और विधायकों को तत्काल दून पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं। बैठक में पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ ही उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत गौतम भी मौजूद रहेंगे। इस बैठक में नेता सदन का चयन होगा।

एक जमाने में कांग्रेस के दिग्गज चेहरों में शुमार रहे सतपाल महाराज ने मार्च 2014 में पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने तत्कालीन विधायक विधायक तीरथ रावत का टिकट काट कर महाराज को मैदान में उतारा था। विधायक निर्वाचित होने के बाद पहले त्रिवेंद्र रावत और निवर्तमान तीरथ रावत सरकार में वे कैबिनेट मंत्री रहे।

भाजपा को अब कांग्रेस का कल्चर भी भाने लगा है। आसाम में हेमंता विस्वा सरमा को सीएम बनाए जाने के बाद पूर्व में कांग्रेसी कल्चर में रच-बसे और अब भाजपा में शामिल ऐसे नेताओं की किस्मत खुलने लगी है। हेमंता विस्वा भी अगस्त,15 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। इसी तरह प.बंगाल में टीएमसी छोड़ भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु चौधरी को पार्टी नेता प्रतिपक्ष का औहदा सौंप चुकी है।   

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