बसपा के वोट पर दावेदारों की नजर
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव की तिथि भले ही तय न हुई हो, लेकिन सियासी घमासान तेज होने लगा है। रोज समीकरण बदल रहे हैं। अध्यक्ष की कुर्सी पर निगाह लगाए दावेदार भी इसके अनुकूल अपनी गोटियां फिट करने में जुटे हैं। अब उनकी निगाह बसपा खेमे के वोटों पर जम गई है। पार्टी की ओर से चुनाव में सीधे प्रतिभाग न करने संकेत के बाद दावेदार उनके वोटरों को अपने पाले में करने की कोशिश में जुट गए हैं। राजनीतिक जानकारों का दावा है कि एकमुश्त बसपा के वोट जिस खेमे में जाएंगे, चुनाव में उसका पलड़ा भारी हो सकता है।
83 सदस्यों वाले जिला पंचायत में अध्यक्ष की कुर्सी पर किसी महिला को ही आसीन होना है। अब तक यह सीट सपा और बसपा के पाले में ही रही है। इस बार सत्ताधारी भाजपा कब्जा जमाने के लिए हर दांव आजमाने को कमर कस चुकी है। भाजपा के दस सदस्य निर्वाचित हुए हैं। पार्टी ने इस सीट के लिए उम्मीदवार भी तय कर लिया है। बस नाम की औपचारिक घोषणा शेष है। सपा ने करंजाकला ब्लाक से निर्वाचित और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती यादव की बहू निशी यादव को उम्मीदवार घोषित किया है। पार्टी नेताओं ने अपने इलाके से निर्वाचित सदस्यों से संपर्क भी शुरू कर दिया है। सत्ताधारी गठबंधन में शामिल अपना दल-एस ने भी जिले की सीट पर दावेदारी पेश की है। उसके छह सदस्य चुने गए हैं। सदन में सबसे बड़ी संख्या निर्दलियों की है। ऐसे में एक निर्दल उम्मीदवार की दावेदारी भी पक्की है। दस सदस्य संख्या वाली बसपा की ओर से भी प्रत्याशी उतारे जाने की चर्चा थी, लेकिन नेतृत्व ने अभी मौन साध रखा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले का चुनाव होने के कारण पार्टी इस बार खुलकर मैदान में आना नहीं चाहती। पार्टी सुप्रीमो ने भी इस बारे में संकेत दे दिए हैं। लिहाजा अब सभी दावेदारों की निगाह बसपा के वोटों को साधने में लगी हुई है। बसपा के जिलाध्यक्ष राजकुमार भारती का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। नेतृत्व की ओर से जो भी निर्देश होगा, उसका पालन किया जाएगा। हमारे पास सदस्यों की संख्या दस है। कई निर्दलीय भी संपर्क में है। ऐसे में अगला अध्यक्ष चुनने में हमारी भूमिका सबसे अहम होगी