आगरा के पारस हॉस्पिटल में मरीजों के साथ मॉकड्रिल के मामले में बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। मॉकड्रिल करने वाले पारस हॉस्पिटल को सील कर दिया गया है। यहां भर्ती मरीजों को शिफ्ट किया जा रहा है। अस्पताल के संचालक पर महामारी एक्ट के तहक केस दर्ज करने के निर्देश दिए गए है। प्रमुख सचिव गृह ने पारस अस्पताल के मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
पारस हॉस्पिटल के एक वायरल वीडियो में ऑक्सीजन संकट में मॉक ड्रिल से पांच मिनट में 22 मरीजों की छंटनी की बात सामने आने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। वीडियो को लेकर प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने भी भाजपा सरकार पर हमला बोला। कांग्रेसियों ने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन करने के साथ ही थाने में तहरीर भी दी गई है। सुबह से ही पारस हॉस्पिटल के बाहर लोगों का हंगामा होता रहा। इसे देखते हुए भारी पुलिस फोर्स भी तैनात कर दी गई।
भगवान टॉकीज स्थित श्री पारस हास्पिटल पर आक्सीजन की कमी का भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए अस्पताल संचालक के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है। वहीं 26 और 27 अप्रैल को अस्पताल में हुईं मौतों का स्वस्थ्य विभाग की टीम द्वारा आडिट किया जाएगा।
अस्पताल में 26 और 27 अप्रैल को हुए घटनाक्रम में जिलाधिकारी द्वारा गठित दो सदस्यीय टीम में शामिल एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी और एसीएमओ पीके शर्मा जांच करने के लिए पहुंचे। उन्होंने पहले अस्पताल संचालक से रजिस्टर मंगवाया। मरीजों की एंट्री देखी। जिनकी मौत हुईं, उनके बारे में जानकारी ली। इन दो दिनों में आक्सीजन की स्थिति की भी जानकारी ली। उसके बाद जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह और एसएसपी श्रीमुनिराज भी पहुंच गए। उन्होंने भी इन दो दिनों में हुए घटनाक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी ली। अस्पताल में आक्सीजन का बैकअप चेक किया।
मंगलवार को अस्पताल में 55 मरीज भर्ती मिले। इनमें से 11 मरीज वेंटीलेटर पर थे। तीन कोरोना संक्रमित मरीज भी अस्पताल में भर्ती मिले। जिलाधिकारी के निर्देश पर सीएमओ द्वारा इन सभी मरीजों को दूसरे अस्पतालों में भर्ती करा दिया गया है। जब तक अस्पताल से मरीजों को शिफ्ट कराये जाने की कार्रवाई की जा रही थी उस दौरान नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी गई थी। अस्पताल खाली होने के बाद इस पर सील लगा दी गई है।
प्रथम दृष्टया जांच समिति ने ये पाया
जांच समिति के अध्यक्ष एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी ने बताया कि 26 अप्रैल को पहली मौत शाम को 4 बजकर 32 मिनट पर होने का प्रमाण मिला। उसके बाद रात नौ बजे तक तीन मौतें और हो गईं। 26 अप्रैल को चार और 27 अप्रैल को तीन मौतें हुईं। इन दो दिनों में अस्पताल में आक्सीजन की उपलब्धता पाई गई। अस्पताल के संचालक द्वारा आक्सीजन की कमी का भ्रम फैलाया गया। जांच तीन घंटे चली।
जिलाधिकारी बोले-
जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने कहा कि अस्पताल में आक्सीजन और मरीजों की मौतों का इश्यू सामने आया था। इसकी जांच किए जाने पर पाया गया कि आक्सीजन की कमी नहीं थी। उन्होंने कहा कि आक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई। अस्पताल को 25 अप्रैल को 149, 26 को 121 और 27 को 117 आक्सीजन के सिलेंडर दिए गए। अस्पतालों में सामान्यत: 20 सिलेंडर का बैकैअप रहता है। पारस हास्पिटल में 16 सिलेंडरों का उन दिनों में बैकअप मिला। इससे भी स्पष्ट हो जाता है कि मरीजों की मौत आक्सीजन की कमी से नहीं हुई। डीएम ने कहा कि 22 मौतें होने का वीडियो पूरी तरह से निराधार और असत्य है। आक्सीजन की कमी का भ्रम फैलाने के आरोप में अस्पताल संचालक केखिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस मामले की जांच पुलिस करेगी।
अस्पताल संचालक बोले-
अस्पताल के संचालक डॉ. अरिंजय जैन ने कहा कि उनके यहां 22 मौतें नहीं हुईं। कोरोना काल में कोविड के सभी अस्पतालों में बीमारी से ही मौतें हुईं हैं। किसी की भी आक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुईं। केवल पारस अस्पताल ही अकेला ऐसा अस्पताल नहीं है। मॉकड्रिल का मतलब था कि किस मरीज को कितनी न्यूनतम आक्सीजन की जरूरत थी। उसकी गणना कर असेस्मेंट किया गया था। जिससे किसी भी मरीज की आक्सीजन की किल्लत से मौत न हो। उनका कहना है कि वह जांच में प्रशासन का पूरा सहयोग करेंगे और अपने न्याय के लिए भी लड़ेंगे। उन्होंने अस्पताल सील करने की कार्रवाई को गलत बताते हुए कहा कि प्रशासन के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे।
कोई भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है
जिलाधिकारी ने कहा कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है। यदि किसी को इस मामले में किसी तरह की कोई शिकायत हो तो वह एडीएम सिटी के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। जांच में उसे भी शामिल कर लिया जाएगा।