कोरोना और बारिश की वजह से बिहार में पंचायत चुनाव टलने के बाद मंगलवार को नीतीश सरकार ने गांवों की सरकार चलाने के लिए बड़ा फैसला लिया। तय किया गया है कि 15 जून को प्रदेश के करीब ढाई लाख पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म हो जाने दिया जाएगा लेकिन गांवों की सरकार चलाने का जिम्मा पूरी तरह से अधिकारियों को नहीं सौंपा जाएगा। इसके बदले बिहार के इतिहास में पहली बार परामर्श समितियां बनेंगी जो गांवों की सरकार चलाएंगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार मध्याह्न 12 बजे से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए चली नीतीश कैबिनेट की इस महत्वपूर्ण बैठक में 19 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इनमें मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना, एकीकृत बीज ग्राम योजना, मिनीकिट योजन और बीज वितरण कार्यक्रम के तहत किसानों को अनुदान दिए जाने की स्वीकृति कैबिनेट ने दी।
राज्य छठे वित्त आयोग के तहत ग्राम पंचायतों को 656 करोड जारी किए जाने की भी स्वीकृति दी गई। इसके अलावा कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को हर माह 1500 देने के लिए योजना की शुरुआत की स्वीकृति मिली। बिहार वेब नियमावली 2021 को स्वीकृति दी गई। केंद्रीय औऱ मंडल कराओ में कक्षपाल बैरक बनेंगे। इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण फैसला कैबिनेट ने लिया वो, 15 जून को पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल की समाप्ति के बाद पंचायतों के कामकाज को लेकर था। कैबिनेट के इस फैसले पर सबकी नज़र थी।
बिहार में विपक्ष और यहां तक कि सरकार में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, भाजपा सांसद रामकृपाल यादव सहित कई नेता पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे थे लेकिन बिहार में ऐसा कोई प्रावधान न होने की वजह से माना जा रहा था कि सरकार अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त कर सकती है। इसके विपरीत कैबिनेट ने बीच का रास्ता निकालते हुए परामर्श समितियों के गठन को मंजूरी दी। इस फैसले के तहत ग्राम पंचायतों और ग्राम कचहरियों में परामर्शी समिति का गठन होगा। ऐसे में पंचायतों और ग्राम कचहरियों के कार्यों का दायित्व परामर्श समिति को दिया जाएगा। परामर्श समिति का स्वरूप क्या होगा। इसमें कौन-कौन होंगे, इसको लेकर अलग से राज्य सरकार आदेश जारी करेगी। बताया जा रहा है कि कैबिनेट के निर्णय पर राज्यपाल की मुहर के बाद यह तय किया जाएगा।
अधिनियम में संशोधन करेगी सरकार
नीतीश सरकार इसके लिए पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन करेगी। बताया जा रहा कि अधिनियम की धारा 14, 39, 66 और 92 में संशोधन कर जनप्रतिनिधियों को अधिकार दिए जाएंगे। परामर्श समितियों में जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ कुछ अधिकारियों को भी शामिल किया जा सकता है।