गोरखपुर जिले के सदर तहसील का 4 हजार से अधिक आबादी वाला सनहा गांव बेहाल है। यह गांव भी कोरोना त्रासदी में मौतों के तांडव से अछूता नहीं है। यहां एक हफ्ते में 11 मौतों से लोग दहशत में हैं। गांव के सिवान में दाखिल होते ही बागीचे के पास हनुमान मंदिर पर लगने वाली बैठकी बंद हो गई है। बुजुर्ग छविवाल बताते हैं कि इस माह के शुरुआती सात दिन में ही दर्जन भर लोगों की मौत हो गई है। गांव का हर व्यक्ति एक-दूसरे से जुड़ा है। ऐसे में हर घर में मातम पसरा है। कई घरों में तो कई दिनों से चूल्हे तक नहीं जल रहें।
महामारी का खौफ ऐसा कि खेत में काम करने के दौरान लोग चेहरे पर मास्क के साथ गमछा भी बांधे। रामसुभग ने बताया कि गांव में एक मई से 7 मई तक 11 लोगों की मौत हो गई है। उन्हें कोई पुरानी बीमारी भी नहीं थी। दो दिन पहले बुखार-खांसी की दिक्कत हुई। अचानक सांस फूलने लगी। कछार होने के नाते सवारी मिलने में दिक्कत होती है। परिवार के लोग जबतक सवारी का इंतजाम करते तब तक लोगों की सांस थम गई। पहली मई को 48 वर्षीय बब्बन की मौत हुई। उसी दिन पास के घर के 70 वर्षीय बुजुर्ग जगबहादुर भी चल बसे। दोनों मौत से गांव के लोग दहल गए। अगले दिन तीसरी मौत हो गई। सात दिन तक लगातार गांव से लाशें उठती रही। कई घरों में अभी लोग बीमार हैं। यहीं वजह है कि गांव में सन्नाटा पसरा है। लोगों ने एक-दूसरे से मिलना तक छोड़ दिया है। एक दिन जांच के लिए स्वास्थ विभाग की टीम आई। टीम ने महज 12 लोगों की जांच की। उसके बाद टीम बोली की किट खत्म हो गयी। अब अगली बार जांच होगी। उसके बाद टीम फिर नहीं आई।
ग्रामीणों के मुताबिक बीते 11 को पंचायत विभाग की गाड़ी दवा का छिड़काव करने आई। 20 मिनट तक छिड़काव के बाद मशीन खराब हो गई। बाबू गांव में सब कुछ राम भरोसे ही है। 72 वर्षीय छविलाल बताते हैं कि इतनी उम्र बीत गई, लेकिन इससे पहले एक साथ गांव में कभी इतनी मौत नहीं देखी। हनुमान जी की कृपा व गांव के लोगों की प्रार्थना का ही नतीजा है कि 7 मई के बाद अभी तक इस गांव में किसी की अर्थी नहीं उठी है। लेकिन हर कोई सहमा है। गांव के युवा मनीष ने बताया कि सनहा गांव के बारी टोला व विशुनपुर टोला के लोगों में इतना अधिक दहशत है कि लोग कहीं आने जाने से डर रहे हैं। मृतकों का दाहसंस्कार परिजनों ने समीप के राप्ती नदी पर कर दिया। गांव में रामरतन निषाद, रामकेश यादव, रामबचन, दिलीप, अजय चौरसिया, श्रीकांत, रामबृक्ष उर्फ भोला समेत करीब 100 लोग अभी भी बुखार से तप रहे हैं। लेकिन डर के कारण अस्पताल न जाकर आसपास के मेडिकल स्टोर से दवा लेकल घर पर इलाज कर रहे हैं।
7 दिन में ताबड़तोड़ 11 मौतें
इन्द्रदेव निषाद ने बताया कि गांव में सबसे पहले दो लोगों जंगबहादुर व बब्बन की मौत हुई। अभी गांव वाले कुछ समझ पाते कि एक सप्ताह में गांव में 11 लोगों की ताबड़तोड़ मौत हो गई। इन्द्रदेव के मुताबिक गांव के हरीशचंद्र, नेवासी, बब्बन, प्रकाश, जंगबहादुर, सपना, राजकुमारी, जगदीश, नरसिंह, प्रकाश, कोलाहल की मौत हो जाने से गांव मे दहशत है।
डोर टू डोर जांच का दावा फेल
ग्रामीणों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग या प्रशासन इस गांव की सुधि नहीं ले रहा है। गांव में एक बार स्वास्थ्य विभाग की टीम आई, कुछ लोगों की जांच कर दवाइयां दी। लेकिन उसके बाद कोई झांकने नहीं आया। आरोप है कि इस गांव में डोर टू डोर जाकर जांच करने का दावा यहां पूरी तरह फेल हैं। गांव में बहुत से लोग बीमार है ,लेकिन लॉकडाउन व कोरोना के डर से इलाज कराने नहीं जा पा रहे हैं। पीएचसी पर जांच कराने में ग्रामीणों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।