हाईकोर्ट ने कहा- यूपी में जिस तरह हो रहे पंचायत चुनाव वो ठीक नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के कारण उत्पन्न गम्भीर स्थिति के दौरान पंचायत चुनाव कराने के तरीके पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार को कोरोना की दूसरी लहर के परिणाम का अंदाजा था। इसके बावजूद कोई योजना नहीं बनाई गई। जिस तरह पंचायत चुनाव कराए जा रहे हैं और अध्यापकों व सरकारी कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी के लिए मजबूर किया जा रहा है।  

लोक स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर पुलिस को र्पोंलग बूथों पर भेज दिया गया, यह ठीक नहीं है। चुनाव कराने वाले अधिकारियों को भी पता है कि लोगों को एक-दूसरे से दूर रखने का कोई तरीका नहीं है।  ऐसे आयोजकों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। खंडपीठ ने कहा कि सरकार के लिए सिर्फ अर्थ व्यवस्था मायने रखती है।  खाने-पीने की चीजों से भरी किराना की दुकानें या बाइक और कार से भरे शोरूम हैं लेकिन दवा की दुकानें खाली हैं, वहां रेमडिसिवर जैसी जीवनरक्षक दवाएं नहीं मिल रही हैं तो वे दुकानें व शोरूम व्यर्थ हैं। कोर्ट ने प्रदेश में वर्तमान स्वास्थ्य सुविधाओं को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि प्रयागराज व लखनऊ जैसे शहरों में ही रोजाना 500 से एक हजार मरीजों को अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ रही है।  वर्तमान स्वास्थ्य सुविधाएं 0.5 प्रतिशत आबादी की आवश्यकता हो पूरी कर सकती हैं। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर नगर, वाराणसी व गोरखपुर 26 अप्रैल तक में वित्तीय संस्थान व विभाग, मेडिकल व स्वास्थ्य सेवा, औद्योगिक व वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान, नगर निकाय कार्य, सार्वजनिक परिवहन के अलावा सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थान बंद रहेंगे। मेडिकल के अलावा शर्ॉंपग कॉम्प्लेक्स व मॉल ग्रोसरी व व्यावसायिक दुकानें भी बंद रहेंगी। होटल रेस्टोरेंट, खाद्य सामग्री बेचने वाले स्थल बंद रहेंगे। सभी प्रकार के शैक्षिक संस्थान बंद रहेंगे। सामाजिक व शादी कार्यक्रम बंद रहेंगे। पहले से तय शादी की अनुमति संक्रमण की स्थिति के अनुसार 25 लोगों के शामिल होने की अनुमति जिलाधिकारी से लेनी होगी। सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक क्रिया कलाप निलंबित रहेंगे। धार्मिक संस्थान बंद रहेंगे। हॉकर, फल,सब्जी, वेंडर्स, दूध, ब्रेड आदि दिन में 11 बजे तक बेचे जा सकेंगे। सड़क पर आपात सेवा व मेडिकल सेवा के अलावा यातायात नहीं होगा। प्रत्येक कंटेन्मेंट जोन की सूचना अखबार में देनी होगी। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रयागराज शहर की आबादी 30 लाख है। यहां 12 अस्पतालों में 1977 बेड और 514 आईसीयू बेड ही हैं। यह केवल 0.5 फीसदी लोगों के इलाज की व्यवस्था है । 20 बेड प्रतिदिन बढ़ाए जा रहे हैं। लखनऊ में 1000 बेड हैं फिर भी ये नाकाफी हैं। जरूरत इससे कहीं अधिक की है। हर पांचवां घर सर्दी जुकाम से पीड़ित है। जांच नहीं हो पा रही है। वीआईपी को 12 घंटे में जांच रिपोर्ट तो आम आदमी को तीन दिन बाद जांच रिपोर्ट मिल रही है। ऐसे में इन तीन दिन तक वह कहां जाए। कोई व्यवस्था नहीं है। 1/3 हेल्थ वर्कर से काम लिया जा रहा है। बड़ी संख्या में वे भी संक्रमित हैं। जीवन रक्षक दवाओं की कमी है।

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