क्या मोदी सरकार बदलेगी नियम कर्मचारियों को केवल चार दिन करना होगा काम, 3 दिन मिलेगी छुट्टी?

देश में बन रहे नए श्रम कानूनों के तहत आने वाले दिनों में हफ्ते में तीन दिन छुट्टी का प्रावधान संभव है। श्रम मंत्रालय के मुताबिक केंद्र सरकार हफ्ते में चार कामकाजी दिन और उसके साथ तीन दिन वैतनिक छुट्टी का विकल्प दे सकता है। सरकार नए लेबर कोड में नियमों को 1 अप्रैल से लागू करना चाहती थी लेकिन राज्यों की तैयारी न होने और कंपनियों को एचआर पॉलिसी बदलने के लिए अधिक समय देने के लिए इन्हें फिलहाल टाल दिया गया। 

पांच दिन से घट सकते हैं काम के दिन

नए लेबर कोड में नियमों में ये विकल्प भी रखा जाएगा, जिस पर कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से फैसला ले सकते हैं। नए नियमों के तहत सरकार ने काम के घंटों को बढ़ाकर 12 तक करने को शामिल किया है। काम करने के घंटों की हफ्ते में अधिकतम सीमा 48 है, ऐसे में कामकाजी दिनों का दायरा पांच से घट सकता है।

ईपीएफ के नये नियम

ईपीएफ पर टैक्स लगाने को लेकर बजट में हुए ऐलान पर और जानकारी देते हुए श्रम सचिव ने कहा कि इसमें ढाई लाख रुपये से ज्यादा निवेश होने के लिए टैक्स सिर्फ कर्मचारी के योगदान पर लगेगा। कंपनी की तरफ से होने वाला अंशदान इसके दायरे में नहीं आएगा या उस पर कोई बोझ नहीं पडे़गा। साथ ही छूट के लिए ईपीएफ और पीपीएफ भी नही जोड़ा जा सकता। ज्यादा वेतन पाने वाले लोगों की तरफ से होने वाले बड़े निवेश और ब्याज पर खर्च बढ़ने की वजह से सरकार ने ये फैसला लिया है। श्रम मंत्रालय के मुताबिक 6 करोड़ में से सिर्फ एक लाख 23 हजार अंशधारक पर ही इन नए नियमों का असर होगा।

ईपीएफ पेंशन में बढोतरी का प्रस्ताव नहीं

वहीं न्यूनतम ईपीएफ पेंशन में बढोतरी के सवाल पर श्रम सचिव ने कहा कि इस बारे में कोई प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा ही नहीं गया था। जो प्रस्ताव श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने भेजे थे, उन्हें केंद्रीय बजट में शामिल कर लिया गया है। श्रमिक संगठन लंबे समय से ईपीएफ की मासिक न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि सामाजिक सुरक्षा के नाम पर सरकार न्यूनतम 2000 रुपये या इससे अधिक पेंशन मासिक रूप से दे रही है जबकि ईपीएफओ के अंशधारकों को अंश का भुगतान करने के बावजूद इससे बहुत कम पेंशन मिल रही है।

जल्द लागू हो सकते हैं नियम

सरकार को 1 अप्रैल से लेबर कोड नियमों को लागू करना था लेकिन इन्हें टाल दिया गया। राज्य सरकारों ने नियमों को अभी फाइनल नहीं किया जिसके कारण इन्हें टाल दिया गया। लेबर कोड टालने का फैसला इसलिए भी लिया गया ताकि कंपनियों को सैलरी स्ट्रक्चर और एचआर पॉलिसी बदलने के लिए समय मिल जाए क्योंकि इन नियमों के कंपनियों की कर्मचारी लागत बढ़ जाएगी। सीनियर श्रम मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक लेबर कोड को कुछ समय के लिए टाल दिया गया है। सरकार चाहती है कि केंद्र के साथ कम से कम कुछ औद्योगिक राज्य लेबर कोड के नियमों को नोटिफाई करें। ताकि, कोई भी कानूनी परेशानी न हो। हालांकि, ऐसी उम्मीद है कि इन्हें जल्द लागू किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *