अमिताभ बच्चन और रणबीर कपूर के साथ काम करने वाली सुचिस्मिता गरीबी में बेच रहीं मोमोज

चकाचौंध से भरी बॉलीवुड इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की जिंदगी में 2020 जैसे एक बड़ा तूफान लेकर आया। जहां एक तरफ फिल्मों की शूटिंग बीच में ही बंद कर दी गई, वहीं दूसरी तरफ इसकी वजह से कई लोगों को अपने कमाई के सोर्स से हाथ धोना पड़ा। हम बात कर रहे हैं कैमरे के पीछे काम करने वाली टीम की। हाल ही में एक 22 वर्षीय कैमरापर्सन सुचिस्मिता राउतराय की कहानी जबरदस्त चर्चा में आ गई है। जिन्हें लॉकडाउन में आर्थिक तंगी ने इस कदर मजबूर कर दिया कि उन्हें मोमोज बेचकर गुजारा करना पड़ा। उन्होंने अपनी ये स्टोरी खुद ही शेयर की है।

सुचिस्मिता राउतराय फिल्मों में बतौर एसिस्टेंट कैमरापर्सन काम कर रही थीं और एक दिन सिनेमैटोग्राफर बनना चाहती थीं। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से उनकी जिंदगी बदल गई। इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान सुचिस्मिता ने बताया कि मजबूरी में उन्हें मुंबई से उडीसा के Cuttack स्थित अपने घर वापस आना पड़ा। यहां पर अब वो गली-गली मोमोज बेचकर कमाी कर रही हैं। विश्‍वमारी की वजह से सुचिस्मिता की बॉलीवुड की जॉब हाथ से चली गई। लॉकडाउन में जॉब नहीं होने की वजह से 8 महीनों में उनकी सारे बचे हुए पैसे खत्म हो गए। उनके पास घर जाने तक को पैसे नहीं थे। ऐसे वक्त में अमिताभ बच्चन और सलमान खान ने आगे आकर क्रू मेंबर्स की मदद की। जिसके लिए सुचिस्मिता उनकी आभारी हैं। घर आने के बाद सुचिस्मिता के बाद उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपने पिता को बचपन में ही खो दिया था और अपनी मां के साथ रहती हैं। पैसों की तंगी के कारण उन्होंने गली-गली मोमोज बेचने का फैसला किया। जिसकी रेसिपी उन्होंने मुंबई की अपनी रूममेट से ली थी। सुचिस्मिता बताती हैं कि वो दिन में 300 से 400 रुपए कमा लेती हैं।

सुचिस्मिता ने बताया कि 2013 पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने उडिया सिने इंडस्ट्री में ही बतौर असिस्टेंट एडीटर काम करना शुरू कर दिया था। जिसके बाद 2015 में वो मुंबई चली गईं और बॉलीवुड में अपना करियर बनाने के लिए मेहनत में जुट गईं। उन्हें बतौर असिस्टेंट कैमरा पर्सन 6 सालों तक काम किया। उन्होंने लगभग 20 बड़े बैनर की फिल्मों में काम किया है, जिसमें ‘कलंक’, ‘चेहरे’, ‘अटकन चटकन’ और ‘ब्रम्हास्त्र’ शामिल हैं।

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