सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वसंत पंचमी के दिन से शुरू हुई अभ्युदय कोचिंग योजना शीघ्र ही मण्डल स्तर के बाद जिला स्तर पर भी शुरू होगी। इसके अलावा इस अभ्युदय कोचिंग से वर्चुअल और भौतिक रूप से जुड़ने वाले आर्थिक रूप से कमजोर प्रतियोगी छात्रों को टैबलेट की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए बजट में प्रावधान भी किया गया है।
मुख्यमंत्री एनेक्सी भवन गोरखपुर के सभागार में अभ्युदय कोचिंग के प्रतियोगी छात्रों एवं एमएमएमयूटी के ‘ज्ञानसिंधु डिजिटल पुस्तकालय प्लेटफार्म’ लांचिंग समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस डिजिटल पुस्तकालय एप की लांचिंग पर एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जेपी पाण्डेय, शिक्षकों एवं छात्रों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह काम बहुत पहले होना चाहिए लेकिन देर से सही, यह अच्छा काम हुआ है। उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन में इस लाइब्रेरी से सभी जानकारी मिल जाएगी। स्वयं की भी डिजिटल लाइब्रेरी बना सकते हैं। कार्यक्रम के मंच से सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में अभ्युदय कोचिंग को लेकर सबसे अच्छे परिणाम गोरखपुर कमिश्नरी से मिले हैं। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ रुचि लेने पर निर्भर करता है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोविड 19 के दौर में कक्षाओं में भौतिक रूप से समिति संख्या में छात्रों को जोड़ा गया है। लेकिन शेष वर्चुअल कक्षाएं हासिल कर सकते हैं। जल्द ही इस कक्षाओं का मिल रहे अनुभव पर विस्तार किया जाएगा। कार्यक्रम के मंच पर कमिश्नर जयंत नार्लिकर, एडीजी अखिल कुमार, डीएम के. विजयेंद्र पांडियन, एमएमएमयूटी के कुलपति प्रोफेसर जेपी पाण्डेय, नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह, सीडीओ इंद्रजीत सिंह मौजूद रहे। संचालन जिला समाज कल्याण विभाग अलख निरंजन मिश्रा ने किया। स्वागत एवं अभ्युदय कोचिंग की उपलब्धियां जयंत नार्लिकर ने गिनाई।
सीएम ने कहा कि बाहर की कोचिंग के पास अपनी फैकेल्टी और तकनीक है लेकिन हमने अलग प्रयास किया। जहां प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित होकर प्रशासनिक सेवा कार्य कर रहे हैं, दोनों में अंतर है। वहां एक व्यक्ति सिर्फ मार्गदर्शन कर रहा यहां मार्गदर्शन के साथ व्यवहारिक अनुभव भी दे रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सैद्धांतिक ज्ञान व्यक्ति को नई दिशा देता है लेकिन व्यवहारिक ज्ञान व्यक्ति को जीवन में सफलता प्रदान करता है। व्यावहारिक ज्ञान से भी खुद को जोड़ लेने वाले को सफलता हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता है। कहा कि इस लोक में सांसारिक उत्कर्ष की सफलता के हर मार्ग पर पहुंचाने का नाम ही अभ्युदय है। जहां प्रशासनिक अधिकारी योजक हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज युवा सौभाग्यशाली है कि वे डिजिटल युग में हैं। अब उसे पुस्तकों के ढेर से परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि दुनिया की अरबों पुस्तक अपने स्मार्ट फोन में रख सकता है। जो भी जानकारी चाहिए एक क्लिक पर हासिल कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस डिजिटल क्रांति के महत्व को छह साल पहले ही समझ लिया था। इसका लाभ कोरोना संक्रमण के दौर में मिला जब एक क्लिक पर लाभार्थियों के खाते में पेंशन, सहायता राशि समेत अन्य सुविधाएं सीधे खाते में प्रदान की गई। 1998 में गोरखपुर में बाढ़ आई, चेक वितरित करने के लिए गांव गांव जाना पड़ता था, इसमें वक्त लगता था लेकिन अब एक दिन में एक क्लिक में लाभार्थियों तक लाभ पहुंच जाता है। उन्होंने तकनीक की मदद से कोरोना संक्रमण के दौरान कम्युनिटी किचन की निगरानी समेत अन्य उदाहण भी गिनाएं।
कुलपति प्रो. जेपी पाण्डेय ने बताया कि कोरोना ने शिक्षा व्यवस्था के सामने कई नई चुनौतियां पेश कीं। विवि की लाइब्रेरी समृद्ध है। लॉकडाउन के दौरान छात्रों को पाठ्यसामग्री उपलब्ध कराना एक चुनौती बन गया था। इसके बाद से ही विवि इस बात के लिए प्रयासरत था कि पुस्तकालय को डिजिटाइज किया जाए। इससे विवि के छात्रों और शिक्षकों को कभी भी, कहीं भी पुस्तकें, शोध पत्र, व अन्य पाठ्य सामग्री सुगमता से उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि छात्र-छात्राएं और शिक्षक अपने मोबाइल पर ज्ञान सिन्धु एप को डाउनलोड कर सकते हैं। बिना एप डाउनलोड किये इन्टरनेट के माध्यम से भी इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। ज्ञान सिन्धु को मोबाइल एप या इन्टरनेट से प्रयोग करने के लिए विवि सभी छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को लॉगिन आईडी और पासवर्ड देगा। इस लॉगिन आईडी और पासवर्ड का प्रयोग छात्र, छात्राएं और शिक्षक कर सकेंगे। इससे पांच हजार से अधिक छात्र, छात्राओं, शोधार्थियों और शिक्षकों को लाभ होगा।