प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने मंगलवार को लखनऊ से गिरफ्तार किए गए पॉपुलर फ्रंट इंडिया (पीएफआई) के दोनों सदस्यों अंसद बदरुद्दीन और फिरोज खान से पूछताछ शुरू कर दी है। कस्टडी रिमांड के पहले दिन गुरुवार को दोनों के आतंकी कनेक्शन पर ढेर सारे सवाल किए गए। इस मामले की जांच पर देश की अन्य सुरक्षा एजेंसियों की भी नजर लगी हुई है। इस बीच पीएफआई के स्टूडेंट विंग कैम्पस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआई) के नेशनल जनरल सेकेट्री रऊफ शरीफ भी पांच दिनों के लिए एसटीएफ की रिमांड पर है। रऊफ से भी पूछताछ शुरू हो गई है।
एटीएस की अर्जी पर कोर्ट ने बुधवार को बदरुद्दीन और फिरोज सात दिनों की कस्टडी रिमांड मंजूर की थी। इसी तरह एसटीएफ की अर्जी पर रऊफ की पांच दिनों की कस्टडी रिमांड मंजूर हुई थी। एटीएस की सबसे बड़ी चुनौती दोनों के साथियों की तत्काल धरपकड़ करने की है।
सूत्रों के अनुसार एटीएस सभी सूचनाओं की तस्दीक करने के बाद प्रदेश में उनके ठिकानों और उनके संपर्क में आए लोगों के बारे में जानकारी जुटाने में लगी है। पूछताछ में यह जानकारी भी सामने आई कि दोनों पुणे (महराष्ट्र) और कोलकाता (पश्चिम बंगाल) भी गए थे। कोलकाता में उनका मजबूत नेटवर्क होने की आशंका है। गिरफ्तारी बाद पूछताछ में एसटीएफ को जानकारी मिली थी कि दोनों बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमाअतुल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी) के संपर्क में थे और लखनऊ आने से पहले दोनों इस संगठन के पदाधिकारियों से मिलने बांग्लादेश भी गए थे।
एटीएस बदरुद्दीन व फिरोज का रऊफ से आमना-सामना भी करा सकती है। दोनों के अलग-अलग बयान दर्ज होने के बाद ऐसा किया जा सकता है। अब तक की जानकारी के अनुसार बदरुद्दीन की पीएफआई में भूमिका कमांडर के तौर पर थी, जबकि फिरोज ट्रेनर के तौर पर काम कर रहा था। वह संगठन के नए सदस्यों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता था। दोनों के कब्जे से विस्फोटक की फोरेंसिक जांच कराई जा रही है। प्रदेश में पीएफआई के छोटे-छोटे समूहों के सक्रिय होने की सूचनाओं की भी तस्दीक की जा रही है। पूछताछ में सटीक जानकारी मिलने पर कुछ और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी भी हो सकती है।