खड़ी फसल बर्बाद , बेमौसम बारिश से टूटी किसानों की कमर

बेमौसम बारिश से टूटी किसानों की आस
मौसम काश्तकारों पर लगातार सितम कर रहा है। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि गेहूं की खड़ी फसल को तो बर्बाद कर ही रही है, बागवानों की उम्मीदों पर भी इससे पानी फिर रहा है।   कालसी ब्लॉक में मौसम की मार से खेती और उद्यान को कुल आठ प्रतिशत नुकसान हुआ है। चकराता तहसील क्षेत्र में आठ गांवों को 33 प्रतिशत से ज्यादा पैदावार का नुकसान हुआ है। 88 राजस्व गांवों को 33 प्रतिशत से कम नुकसान हुआ है। 44 गांवों में कोई नुकसान नहीं हुआ हैत्यूणी तहसील क्षेत्र में भी फसल को 30 प्रतिशत तक नुकसान की रिपोर्ट तहसील प्रशासन को मिली है। एसडीएम चकराता डॉ. अपूर्वा सिंह ने बताया कि रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेज दी है। धन मंजूर होने पर पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा।देहरादून के जिला कृषि अधिकारी विजय देवराड़ी ने बताया कि बरिश और ओलावृष्टि से जिले में गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ है। प्रारंभिक सर्वे के बाद करीब एक हजार हेक्टेयर (लगभग 30 प्रतिशत) गेहूं की खेती को नुकसान हुआ है।जिला उद्यान अधिकारी डॉ. मीनाक्षी जोशी ने बताया कि जिले में आम, आड़ू, सेब के साथ ही मटर, फूलगोभी, शिमला मिर्च जैसी सब्जियों को भी मौसम ने नुकसान पहुंचाया है। जिले में 1200 हेक्टेयर फलों व 1660 हेक्टेयर तक सब्जी का नुकसान हुआ।बीते दिनों हुई ओलावृष्टि व बारिश से टिहरी जनपद में बागवानी को 30 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। जिला उद्यान अधिकारी डीके तिवारी ने बताया कि सर्वाधिक नुकसान घनसाली व प्रतापनगर ब्लाक में हुआ है। सेब, आड़ू, खुमानी, पुलम, मटर, आलू, शिमला मिर्च को नुकसान पहुंचा है।कीर्तिनगर क्षेत्र में आम की फसल को भी नुकसान हुआ है। मुख्य कृषि अधिकारी जेपी तिवारी ने बताया कि जनपद में गेहूं-जौ की फसल को 15 से 20 प्रतिशत का नुकसान पहुंचा है। काश्तकार विजय जड़धारी और बिरेंद्र नेगी का कहना है कि बेमौसम पर हुई ओलावृष्टि व बारिश से किसानों का आर्थिक संकट बढ़ेगा।मुख्य उद्यान अधिकारी ( ऊधमसिंहनगर) हरीश चंद्र तिवारी कहते हैं कि विभाग की टीम सर्वे कर रही है, जिसकी रिपोर्ट एक सप्ताह में तैयार होगी। बताया कि ओलावृष्टि से जिले में सिर्फ काशीपुर ब्लॉक में ही बागान को नुकसान हुआ है। यहां ओलावृष्टि से आम की फसल को 25 फीसदी और लीची की फसल को पांच से सात फीसदी तक नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि हर साल आंधी से आम और लीची को करीब नौ से 10 फीसदी नुकसान होता है। इसकी वजह यह है कि शुरुआती दिनों में फल की पकड़ कमजोर होती है।
 पिथौरागढ़ जिले में करीब 50 फीसदी फसल और 40 फीसदी बागवानी ओलावृष्टि की भेंट चढ़ गई है। गेहूं, जौ, मसूर, मटर की खेती ओलों ने बर्बाद कर दी है। बागवानी में आड़ू, पुलम, खुमानी, आम, लीची को नुकसान पहुंचा है। नींबू प्रजाति के पेड़ों से फूल झड़ गए हैं। डीडीहाट, बेरीनाग, गंगोलीहाट ब्लॉकों में सर्वाधिक नुकसान बताया जा रहा है। थल क्षेत्र के किसान राजन सिंह, धामीगांव के गिरीश भट्ट का कहना है कि ओलावृष्टि से आधे से ज्यादा फसल बर्बाद कर दी। मुख्य कृषि अधिकारी अमरेंद्र चौधरी का कहना है कि क्षति का आकलन किया जा रहा है।
 नैनीताल में बागवानी को लगभग 40 से 50 फीसदी नुकसान हुआ है। आड़ू,खुमानी, नाशपाती और सेब की फसल बर्बाद हो गई है। सबसे अधिक नुकसान धारी, रामगढ़, ओखलकांडा और बेतालघाट में हुआ है। यहां फलों को 60 फीसदी तक का नुकसान पहुंचा है। धारी के काश्तकार देवेंद्र सिंह व रामगढ़ के पूरन सिंह कहते हैं कि ओलावृष्टि से बागवानी को टफरीना फफूंदी रोग लग गया है। जिला उद्यान अधिकारी भावना जोशी कहती हैं कि रामनगर में ओलावृष्टि से फसल को नुकसान हुआ है। एसडीएम विजय शुक्ल ने बताया कि 15 किसानों ने गेहूं, गर्मी के धान की फसल प्रभावित होने की शिकायत की है। 
  चम्पावत के तराई क्षेत्र टनकपुर आदि में बारिश और ओलावृष्टि से खासतौर पर आम और लीची को आंशिक नुकसान पहुंचा है। जिला उद्यान अधिकारी एनके आर्या मानते हैं कि यह नुकसान हुआ है। इसका आकलन हो रहा है। मुख्य कृषि अधिकारी राजेंद्र उप्रेती ने बताया कि जिले के तराई क्षेत्र में गेहूं की फसल तकरीबन कट चुकी है,जिनकी कटी फसल खेतों में ही थी, उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है। सीएओ उप्रेती ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में यह बारिश गेहूं की फसल के लिए लाभदायक है। काश्तकार मोहन पांडेय, रेबाधर जोशी, राम सिंह, अमरनाथ टम्टा, खीमानंद जोशी आदि ने बताया कि आलू, बैगन, शिमला मिर्च आदि को ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है।
 रुद्रप्रयाग में विभागीय सर्वे के मुताबिक, बागवानी को 50 फीसदी और कृषि को 45 फीसदी नुकसान हुआ है। डीएचओ योगेंद्र चौधरी ने बताया की काश्तकारों से आडू, खुमानी, आम की पैदावार को नुकसान पहुंचने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं।मुख्य कृषि अधिकारी एसएस वर्मा ने बताया जिले में गेहूं, जौ व अन्य फसलों को 45 से 50 प्रतिशत नुकसान की सूचनाएं हैं, विभाग अपने स्तर पर भी सर्वे कर रहा है। 
 पौड़ी जिले में आम, नींबू, सेब और आड़ू जैसी फसलों को नुकसान हुआ है। जिला उद्यान अधिकारी डॉ नरेंद्र कुमार ने बताया कि अभी तक 15 फीसदी नुकसान का आंकलन है। जबकि खेती में जि़ले में किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है। मुख्य कृषि अधिकारी डीएस राणा ने बताया कि इस बीच बारिश से फसलों की कटाई प्रभावित हुई। नुकसान को लेकर कोई सूचना नहीं आई हैं। फसलों के नुकसान को लेकर सर्वे भी करवाया जा रहा है।
 अल्मोड़ा जिले में बारिश से सब्जियों और बागवानी का खास नुकसान नहीं हुआ है हालांकि चौखुटिया में गेहूं की फसल काली पड़ गई है। चौखुटिया के ग्राम जेठुआ निवासी काश्तकार गोविंद बल्लभ ने बताया कि किसानों की सालभर की मेहनत बेकार हो गई है। उधर, मुख्य उद्यान अधिकारी टीएन पांडे ने दावा किया कि वर्तमान में बारिश से सब्जियों और बागवानी को नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने बागवानी के लिए बारिश को अच्छा बताया। मुख्य कृषि अधिकारी प्रियंका सिंह ने माना कि बारिश और ओलावृष्टि से जिले में फसलों को 5 से 10 प्रतिशत तक नुकसान का अनुमान है। बहरहाल, विभाग की टीम नुकसान का सर्वे कर रही है।
 बागेश्वर में ओलावृष्टि से रबी की फसल के अलावा सब्जियों को नुकसान हुआ है। मालता के किसान हरीश कनवाल, बिलौना के सुरेश पांडेय, कठायतबाड़ा की पुष्पलता मेहता, प्रताप सिंह गड़िया के अनुसार, ओलावृष्टि से 40 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है, जबकि विभाग का दावा 25 प्रतिशत नुकसान का है। जिला उद्यान अधिकारी आरके सिंह ने बताया कि कपकोट ब्लॉक में सब्जी उत्पादकों को ज्यादा नुकसान हुआ है। चमोली जिले में वर्षा और ओले से खेती-बागवानी को नुकसान का अभी सर्वे तक शुरू नहीं हुआ है। मुख्य कृषि अधिकारी डॉ.रामकुमार दोहरे ने बताया प्रथम सर्वे राजस्व विभाग करता है, फिर कृषि व उद्यान विभाग की टीमें भी सर्वे करती हैं। उन्होंने बताया कि कुछ जगह पर नुकसान की जानकारी मिली है। 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान पर क्षतिपूर्ति दी जाती है। दूसरी ओर उर्गम घाटी और पोखरी के किसानों ने फसलों को व्यापक नुकसान की शिकायत दर्ज कराई है। 

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