सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि जनवरी तक कोरोना की वैक्सीन आ जाएगी, तब तक कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन करें। मास्क लगाएं और दो गज की दूरी बनाए रखें। मुख्यमंत्री गुरुवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 88वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे।
एमपी इंटर कॉलेज परिसर के मंच से योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में देश बदल रहा है। पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। अब भारत का शुमार दुनिया के अग्रणी देशों में होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री की अगुवाई में जो अभूतपूर्व कार्य हुए वह तकनीक से ही सम्भव थे। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि पिछलग्गू बनने की बजाय नजीर बनें। खुद को समाज और देश के लिए बोझ नहीं, उपयोगी बनाएं। शिक्षण संस्थाएं टीम भावना के साथ काम करें तो यह सम्भव है।
योगी ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद से जुड़े छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों का आह्वान किया कि परिषद के शताब्दी वर्ष तक लक्ष्य बनाकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के व्यावहारिक एवं सैद्धांतिक पक्ष का अनुसरण करते हुए आगे बढ़ें। ताकि आने वाले समय में यह परिषद उत्तर भारत का आदर्श शिक्षण संस्थान बने। उन्होंने आह्वान किया कि तकनीक से जुड़ें और इसका बेहतर उपयोग करें। उन्होंने कहा उन्होंने कहा कि चुनातियों को अवसर और असफलता को सफलता में बदलने वाला ही जीवन मे सफल होता है। छात्रों का आह्वान किया कि हर चुनौती में अवसर व असफलता में सफलता तलाशें।
संस्थापक सप्ताह समापन समारोह में मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि गुलामी के काल खंड को छोड़ दें तो भारत वैदिक काल से ही ज्ञान पिपाशु रहा है। इसी नाते उसे विश्वगुरु का दर्जा हासिल था। श्री दीक्षित ने कहा कि ऋग वैदिक काल एवं उसके पहले यह ज्ञान साधारण ज्ञान नहीं था बल्कि इसे हमारे पूर्वजों ने तत्व ज्ञान कहा। जो तत्व ज्ञानी है, उसकी अभिव्यक्ति कैसी होगी?
गुरु गोरखनाथ की वाणी के दो शब्दों में समझ सकते हैं। वे कहते हैं कि जो दूसरे लोग लिख नहीं पाते वह ज्ञानी लिख लेता है। जो दूसरे लोग देख नहीं पाते, ज्ञानी देख लेता है। जो दूसरे लोग स्पर्श नहीं कर पाते उसे ज्ञानी स्पर्श कर लेता है। इस ज्ञान परम्परा के चलते भारत सारी दुनिया का गुरु कहा जाता था। इस ज्ञान परम्परा को लेकर भारत के लोगों में गर्व है। लेकिन स्वतंत्रता के बाद यह आग्रह घटता चला गया। ऐसे पढ़े-लिखे समुदाय का विकास हुआ जो भारतीय धर्म संस्कृति को हिकारत के भाव से देखता था। यहां के छद्म प्रगतिशील विद्यानों ने दुनिया को बताया कि भारत में प्राप्त किए जाने योग्य कोई ज्ञान धारा नहीं है। भारत का दर्शन भाववादी है जिसमें तर्क नहीं है। लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो अपनी संस्कृति को पोषित कर रहे थे। इसका प्रभाव भी पड़ा। गुरु गोरखनाथ की वाणी में समाज और ईश्वर दोनों की सिद्धि की बात है।
गोरक्षनगरी का इस ज्ञान परम्परा में बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा। यह परंपरा अब भी जारी है। शिक्षा ही संसार और समाज को सुंदर बनाने का जरिया है। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ द्वारा स्थापित एमपी शिक्षा परिषद 1932 से यही कर रहा है। परिषद अपनी संस्थाओं में किताबी ज्ञान के साथ संस्कार भी देता है। ऐसा संस्कार जिससे बच्चों में अपने सम्पन्न इतिहास, परम्परा, संस्कृति और देश प्रेम के प्रति जज्बा और जुनून जगता है। ऐसे बच्चे ही देश और समाज मे अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते हैं। इससे सशक्त और श्रेष्ठ भारत का सपना साकार होगा। देश की अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए भी परिषद के कार्य नज़ीर हैं।
विशिष्ट अतिथि प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने कहा कि शिक्षा हर समस्या का हल है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद 1932 से यही कर रहा है। उन्होंने सीएम योगी की अगुवाई में हुए विकास के रिकॉर्ड कार्यों की सराहना की। कहा, कोहरे एवं बादलों के बीच से भगवान सूर्य देखने की कोशिश कर रहे हैं। वह देखना चाहते हैं कि मेरा अंश मंच पर विराजमान है जिसके हाथ में प्रदेश की कमान है। भगवान सूर्य का प्रथम नाम आदित्यनाथ है। धरती के पहले गुरु भी भगवान सूर्य हैं। उस वास्तवित गुरु के अंश जिसे लोग आदित्यनाथ कहते हैं, भगवा हैं। सूर्य जब निकलता है तब भगवा रंग होता है। मुझे गौरव की अनुभूति होती है कि एक आदर्श मुख्यमंत्री के कैबिनेट में मुझे भी काम करने का अवसर मिला है। समारोह के विशिष्ट अतिथि दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रत देव सिंह, राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल आरपी शाही, स्वामी राघवाचार्य, देवीपाटन शक्तिपीठ के महंत योगी मिथिलेश दास, सिद्धार्थ विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे, राम मनोहर लोहिया विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रामअचल सिंह, वाराणसी से आए संत संतोष दास, सांसद रविकिशन, जयप्रकाश निषाद, विधायक फतेह बहादुर सिंह, महेंद्र पाल सिंह, शीतल पांडेय, संगीता यादव, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी, पूर्व महानगर अध्यक्ष राहुल श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे। अतिथियों का स्वागत एमपी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. यूपी सिंह ने किया।
समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ की स्मृति में लिखी पुस्तक ‘भारतीय संस्कृति का विश्व में प्रसार’ का विमोचन किया। इस पुस्तक का संपादन एमपीपीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप राव एवं उनके सहयोगियों ने किया है। कार्यक्रम में एमपी पॉलिटेक्निक के कार्यशाला अनुदेशक माधवेंद्र राज की तीन पाठ्य पुस्तकों का भी विमोचन हुआ।