‘जाको राखे साइयां मार सके न कोय’। यह कहावत राजस्थान के झुंझुनूं के सुलताना में बिंदालिया कुआं क्षेत्र में सही साबित हुई। दरअसल, 45 वर्षीय अख्तर पुत्र जाफर ईलाही बुधवार रात करीब साढे आठ बजे कुएं में कूद गया। तीन सौ फीट गहरा बिंदालिया कुआं करीब 15 साल से सूखा पड़ा था।
अख्तर को दो-ढाई घंटे की मशक्कत के बाद बेहोशी की हालत में कुएं से बाहर निकाला गया। उसे एंबुलेंस से बीडीके अस्पताल झुंझुनूं भेजा गया, जहां से उसे गुरुवार सुबह एसएमएस अस्पताल जयपुर रेफर कर दिया गया। परिजनों के मुताबिक अख्तर कुछ देर पहले ही खाना खाकर घर से निकला था। बिंदलिया कुएं में व्यक्ति को कूदते देख रास्ते से गुजर रहे बच्चों और दुकान पर बैठे लोगों ने हल्ला मचाया। इसके बाद मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई।
सूचना मिलने पर सरपंच घीसाराम चांवरिया और पुलिस चौकी प्रभारी एएसआई ओमप्रकाश भांबू, किसान नेता पंकज धनखड़, भाजपा मंडल अध्यक्ष बलजीत शर्मा सहित अन्य लोग भी मौके पर पहुंचे। सरपंच और चौकी प्रभारी ने सुलताना से लोरिंग मशीन मंगवाई, जिसके जरिए गोवला निवासी चरणसिंह को कुएं में उतारा गया। चरणसिंह ने आधे घंटे बाद अख्तर को बेहोशी की हालत में बाहर निकाला। उसे निजी एंबुलेंस से उपचार के लिए झुंझुनूं ले जाया गया। बिंदालिया कुएं में गिरकर गंभीर रूप से घायल हुए अख्तर ईलाही के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। वह 10-15 वर्ष पहले तक चिड़ावा-सुलताना-झुंझुनूं रूट पर चलने वाली निजी बसों में परिचालक की नौकरी करता था।
चौकी प्रभारी ओमप्रकाश भांबू ने बताया कि कुएं से निकालने के बाद बेहोशी की हालत में होने से बयान नहीं हो सका। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले सारी जाने वाले रास्ते पर भेड़-बकरियां चराने वाला गड़रिया भी एक सूखे कुएं में गिर गया था। उसे भी ग्रामीणों के सहयोग से जीवित बाहर निकाला था।