शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ शनिवार 17 अक्तूबर को हो रहा है। पुरुषोत्तम मास की वजह से पितृ-विसर्जन अमावस्य़ा के एक माह बाद नवरात्र प्रारम्भ हो रहे हैं। देवी भगवती कई विशिष्ट योग-संयोग के साथ अश्व पर सवार होकर अपने मंडप में विराजमान होंगी। 58 साल बाद अमृत योग वर्षा हो रही है।
कई विशिष्ट योग
1962 के बाद 58 साल के अंतराल पर शनि व गुरु दोनों नवरात्रि पर अपनी राशि में विराजे हैं, जो अच्छे कार्यों के लिए दृढ़ता लाने में बलवान होगा। नवरात्रि पर राजयोग, द्विपुष्कर योग, सिद्धियोग, सर्वार्थसिद्धि योग, सिद्धियोग और अमृत योग जैसे संयोगों का निर्माण हो रहा है। इस नवरात्रि दो शनिवार भी पड़ रहे हैं।
देवी भगवती की है वार्षिक महापूजा
शारदीय नवरात्र (अश्विन) को देवी ने अपनी वार्षिक महापूजा कहा है। इसी नवरात्र को मां भगवती अपने अनेकानेक रूपों- नवदुर्गे, दश महाविद्या और षोड्श माताओं के साथ आती हैं। देवी भागवत में देवी ने शारदीय नवरात्र को अपनी महापूजा कहा है।
घट स्थापना का मुहूर्त ( शनिवार)
शुभ समय – सुबह 6:27 से 10:13 तक ( विद्यार्थियों के लिए अतिशुभ)
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 11:44 से 12:29 तक ( सर्वजन)
स्थिर लग्न ( वृश्चिक)- प्रात: 8.45 से 11 बजे तक ( शुभ चौघड़िया, व्यापारियों के लिए श्रेष्ठ)
कोई तिथि क्षय नहीं, पूरे नवरात्र
इस बार शारदीय नवरात्र 17 से 25 अक्टूबर के बीच रहेंगे हालाँकि नवरात्र के नौ दिनों में कोई तिथि क्षय तो नहीं होगी लेकिन 25 तारिख को नवमी तिथि सुबह 7:41 पर ही समाप्त हो जाएगी। इसलिए नवमी और विजयदशमी (दशहरा) एक ही दिन होंगे।
नवरात्र: किसी तिथि का क्षय नहीं
प्रतिपदा – 17 अक्टूबर
द्वितीय – 18 अक्टूबर
तृतीया – 19 अक्टूबर
चतुर्थी – 20 अक्टूबर
पंचमी – 21 अक्टूबर
षष्टी – 22 अक्टूबर
सप्तमी – 23अक्टूबर
अष्टमी – 24 अक्टूबर
नवमी – 25 अक्टूबर
इन बातों का ध्यान रखें
– शारदीय नवरात्र पर जौ बोएं। इससे वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है
कोरोना काल के कारण वातावरण शुद्ध करने के लिए पीली सरसो या हल्दी, सेंधा नमक और लोंग से अग्यारी करें।