भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश में आगामी उपचुनाव के लिए अपने चुनावी अभियान को “धरती पुत्र” शिवराज सिंह और “उद्यमी” कमलनाथ के बीच एक प्रतियोगिता के रूप में बदल दिया है। ऐसा कांग्रेस नेता दिनेश गुर्जर के उस बयान के बाद हुआ है, जिन्होंने शिवराज सिंह चौहान ”भूखा-नंगा” बताया था। इस बयान ने कांग्रेस को गरीब विरोधी बताने वाली भाजपा को बैठे-बिठाए एक हथियार दे दिया।
भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष वीडी शर्मा ने हिन्दुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा, ‘यह बयान इस बात का प्रतिबिंब है कि कांग्रेस जमीन से कैसे कटी हुई है और गरीबों के बारे में उसकी सोच क्या है। हम एक साधारण संदेश के साथ लोगों के पास जा रहे हैं कि कमलनाथ एक सामाजिक व्यक्ति नहीं हैं, वे एक उद्योगपति (उद्यमी) हैं, जो मध्य प्रदेश में अपनी तिजोड़ी भरने के लिए आए थे। वह नेता नहीं, केवल एक प्रबंधक हैं जो कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए दरबारी करते हैं।’
सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार रैलियों में भाजपा इस बात पर जोर दे रही है कि कैसे कमलनाथ सरकार ने पूरे राज्य की योजनाओं को छिंदवाड़ा तक के लिए सीमित कर दिया। बीजेपी नेता ने कहा, “बुंदेलखंड क्षेत्र में स्वीकृत एक कृषि महाविद्यालय का मामला लें, इसे जबरन छिंदवाड़ा ले जाया गया। बुंदेलखंड और भिंड के लिए 1400 करोड़ रुपये की सुपर स्पेशियलिटी मेडिकल कॉलेज और सिंचाई परियोजनाएं भी छिंदवाड़ा को हस्तांतरित की गईं। पीएम आवास योजना के तहत 2.43 लाख घर नहीं बनाए जा सके क्योंकि राज्य सरकार ने इसके लिए जरूरी 24 प्रतिशत अनुदान देने से इनकार कर दिया था।”
राज्य में विधान सभा की 28 सीटों के लिए 3 नवंबर को चुनाव होंगे। इन 28 सीटों में से 22 कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों के हैं, जिन्होंने कांग्रेस छोड़ते हुए बीजेपी का दामन थामा था। इसी वजह से एमपी में कांग्रेस की सरकार गिर गई।
आपको बता दें कि भाजपा के पास अभी 107 विधायक हैं। पार्टी को विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा जुटाने के लिए 9 और विधायकों की आवश्यक्ता है। जबकि 88 सीटों वाली कांग्रेस को सभी 28 सीटों पर जीत हासिल करने की जरूरत है।
राजनीतिक विश्लेषक शिरीष काशीकर ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान पर कांग्रेस का यह हमला बीजेपी के फायदेमंद साबित होगा। इसके साथ ही इन इलाकों में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अच्छी पैठ भी है।