संसद की स्थाई समिति की जन-शिाकयत, विधि एवं न्याय से संबंधित विभाग ने कोरोना महामारी के बाद भी वर्चुअल कोर्ट जारी रखने की सिफरिश की है। इसके मद्देनजर राजधानी की अदालतों में हाई स्पीड इंटरनेट व अन्य सुविधाएं बढ़ाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि यदि कोरोना महामारी के बाद भी वर्चुअल कोर्ट यानी वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए मुकदमों की सुनवाई जारी रखी जाती है तो सभी अदालतों में हाई स्पीड इंटरनेट के लिए फाइबर आप्टिक केबल लगाने का आदेश देने की मांग की गई है।
जस्टिस नवीन चावला ने इस मांग को लेकर दाखिल याचिका को जनहित याचिका में तब्दील करते हुए इसे सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष भेज दिया है। इस पर अब 12 अक्तूबर को सुनवाई होगी। रोहिणी कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव सतनारायण शर्मा न यह याचिका दाखिल की है। उन्होंने याचिका में कहा है कि संसद की स्थाई समिति की जन-शिाकयत, विधि एवं न्याय से संबंधित विभाग ने 103वीं रिपोर्ट में कोरोना महामारी के बाद भी वर्चुअल कोर्ट को जारी रखने की सिफारिश की है। यह रिपोर्ट राज्यसभा के अध्यक्ष को सौंपी की गई थी जिसे बाद में लोक सभा अध्यक्ष को भेजा भे दिया गया।
याचिका में कहा गया है कि यदि कोरोना महामारी के बाद भी नियमित की जगह वर्चुअल कोर्ट को जारी रखा जाता है तो इसके लिए जरूरी संसाधन बढ़ाने की जरूरत होगी। अधिवक्ता शर्मा ने कहा है कि मौजूदा समय में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुकदमों की सुनवाई में वकीलों, न्यायाधीशों और कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हाई-स्पीड इंटरनेट नहीं होने की वजह से कई बार इमेज साफ नहीं होती है तो कई बार आवाज सुनाइ नहीं पड़ती है।
याचिकाकर्ता सतनारायण शर्मा ने न्यायालय ने से इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सभी अदालत परिसरों और वकीलों के चैम्बर में हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए फाइबर आप्टिक केबल लगाने का आदेश देने की मांग की है।