नीतीश कुमार ने कहा बिहार गरीब जरूर हो सकता है मगर…

कोरोना वायरस के संकट और लॉकडाउन की वजह से बिहार के रहने वाले लाखों मजदूर, स्टूडेंट और अन्य लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए हैं। हाालंकि, कोरोना संकट के समय में लाखों बिहारी प्रवासियों को राहत और पुनर्वास सुनिश्चित कराना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्राथमिकताओं में से एक है। उनके घर लौटने को लेकर नीतीश कुमार ने हिन्दुस्तान टाइम्स के विनोद शर्मा से कहा कि जब लॉकडाउन पूरी तरह से हट जाएगा तब अन्य राज्यों की सरकारों को प्रवासी मजदूरों को यात्रा करने की इजाजत देने से पहले उनकी स्क्रीनिंग जरूर करानी चाहिए। हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ खास बातचीत में उन्होंने कोरोना संकट से निपटने की अपनी रणनीतियों को भी साझा किया। तो चलिए जानते हैं कि प्रवासी मजदूरों से लेकर कोरोना संकट के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने क्या-क्या कहा…

सवाल: बिहार में कोरोना वायरस के मामले महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु जैसे भयावह नहीं हैं। लेकिन बिहार के 38 जिलों में से 13 जिलों में कोरोना की छाप है। आप इसपर किस तरह तैयार हैं?

जवाब- 27 अप्रैल (शाम पांच बजे तक) के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के 25 जिलों में कुल 329 कोरोना के पॉजिटिव केस हैं। इसमें से 57 मरीज ठीक हो चुके हैं। अभी 270 सक्रिय मामले हैं। प्रशासन ने इसे बहुत पहले ही पहचान लिया और लगातार टेस्ट किए जा रहे हैं। हमने पल्स पोलियो अभियान की ही तरह डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग कर रहे हैं। हमने अभी तक चार करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की है। अभी वर्तमान समय में छह टेस्टिंग सेंटर हैं और हमारे पास कोरोना के लिए पर्याप्त अस्पताल, हेल्थ सेंटर मौजूद हैं। हमारे यहां पर्याप्त संख्या में लोगों को क्वारंटाइन करने की सुविधा है।  हम जमीनी वास्तविकताओं से अवगत हैं और महामारी से लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हमने केंद्र सरकार से वेंटिलेटर देने और हमारी क्षमता और परीक्षण सुविधाओं को बढ़ाने में मदद करने का भी अनुरोध किया है।

सवाल: सीवान और मुंगेर में कोरोना के 120 मामले हैं। क्या इन जिलों में कोई विशेष कारण है?

जवाब: शुरुआत में कोरोना वायरस के मामले विदेशी यात्रियों से शुरू हुए और संक्रमण उनके संपर्कों के जरिए से फैल गया। तबलीगी जमात के संपर्क में आए लोगों में कुछ मामले पाए गए। हालांकि, एक नया ट्रेंड देखा गया है, जिसमें दूसरे राज्यों से आए प्रवासियों में संक्रमण देखा गया। वर्तमान में, मुंगेर में 90 और सीवान में 30 मामले हैं। यहां तक कि पटना में 38, नालंदा में 34, बक्सर में 25, रोहतास में 15 और कैमूर में 14 मामले हैं। ये उन जिलों में से हैं, जहां मामले अधिक हैं। सीवान में अभी केवल 12 सक्रिय मामले हैं और 18 रोगियों को ठीक किया गया है और उन्हें छुट्टी दे दी गई है।

सवाल:  अभी तक आपकी सबसे बड़ी चुनौती भारत के अन्य हिस्सों, विशेष रूप से दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब में फंसे बिहारी मजदूरों के लिए राहत और उनकी आजीविका सुनिश्चित करना है। उनके लिए आपका क्या संदेश है? क्या आप सीधे सहायता के साथ उनके पास पहुंच सकते हैं या फिर आपको केंद्र और वहां की राज्य सरकारों पर निर्भर रहना होगा?

जवाब: हम हमेशा कहते हैं कि राज्य के खजाने पर आपदा प्रभावित लोगों का पहला अधिकार है। हमारे बहुत सारे लोग दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं और वहां फंसे हुए हैं। हमने बिहार के बाहर फंसे इन बिहारी लोगों से फीडबैक लेने की प्रणाली विकसित की है। आपदा प्रबंधन विभाग नियंत्रण कक्ष और हेल्प लाइन पूरी तरह से संबंधित राज्य सरकारों और जिला प्रशासन के साथ समन्वय करके मजदूरों के लिए भोजन, रहने की व्यवस्था और चिकित्सा सुविधा की उचित व्यवस्था कर रही है। मैंने उनसे अपील की है कि वे लॉकडाउन के नियमों का पालन करें और वे जहां हैं, वहीं रहें। हम एक गरीब राज्य हो सकते हैं, लेकिन हम उन लोगों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं जो संकट में हैं।

मैंने मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों को इन लोगों से संपर्क करने और उनके फीडबैक प्राप्त करने का निर्देश दिया। इन लोगों से बात करने के लिए 3,000 से अधिक कॉल की गई थी। उनके फीडबैक के आधार पर, मैंने मुख्यमंत्री राहत कोष से और आपदा प्रबंधन विभाग के जरिए से बिहार से बाहर फंसे सभी प्रवासियों को 1,000 रुपये की विशेष सहायता देने का फैसला किया। हमने पहले ही मुख्यमंत्री राहत कोष से 250 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। लगभग 25 लाख लोगों ने इसके लिए आवेदन किया है। लगभग 16 लाख लोगों के खाते में 1,000 रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। मैंने बिहार फाउंडेशन को दूसरे राज्यों में हमारे फंसे हुए लोगों को भोजन, सूखा राशन और रहने के लिए जगह देने को कहा है। बिहार फाउंडेशन नौ राज्यों के 12 शहरों में 55 राहत शिविर चला रहा है और 12 लाख से अधिक लोगों को भोजन दे रहा है और बड़ी संख्या में लोगों के रुकने का इंतजाम करा रहा है।

आपदा प्रबंधन विभाग विभिन्न जिलों में मजदूरों, रिक्शा-चालकों, दैनिक-यात्रियों और अन्य जरूरतमंद लोगों के लिए 200 से अधिक आपदा राहत केंद्र संचालित कर रहा है। इन केंद्रों पर हर दिन 70,000 से अधिक लोगों को भोजन, आश्रय और चिकित्सा सुविधाएं दी जा रही हैं। इन लाभार्थियों में से कई अन्य राज्यों के लोग हैं, लेकिन बिहार में फंसे हुए हैं।

सवाल: देश में प्रवासी बिहारी जनसंख्या की अनुमानित संख्या क्या है?

जवाब: भारत के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में बिहारी प्रवासियों की संख्या अधिक है। हमारे पास प्रवासी बिहारी आबादी की सही संख्या नहीं है, लेकिन आपको इससे एक आइडिया मिलेगा- संकट के दौरान बिहार के प्रवासी मजदूरों की सुविधा और मदद करने के लिए बिहार सरकार ने दो 24 घंटे हेल्पलाइन/ कॉल सेंटरों की शुरुआत की है। हमें बिहार के बाहर फंसे प्रवासियों के एक लाख से अधिक फोन कॉल और मैसेज मिले हैं, और 25 लाख से अधिक प्रवासियों ने 1,000 रुपये की तत्काल राहत के लिए आवेदन किया है, जो मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान किया जा रहा है। संभावना है कि यह संख्या बढ़कर तीस लाख से अधिक होगी।

सवाल:  क्या आपने उनके अस्थायी या स्थायी पुनर्वास की योजना तैयार की है क्योंकि उन्हें उनके हाल पर छोड़ना खतरनाक होगा।

जवाब: वर्तमान समय में, बिहारी प्रवासी मजदूर जो निर्माण, खनन, कृषि क्षेत्रों में देशभर में काम कर रहे हैं, वे स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर योगदान करते हैं। प्रतिबंधों के हटने के बाद इन क्षेत्रों में कारखानों और उद्यमों को दोबारा शुरू करने के लिए इन प्रवासी श्रमिकों की उपस्थिति जरूरी होगी। हमने पहले ही इस पर काम करना शुरू कर दिया है और बिहार में उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा कर रहे हैं। हमने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर जोर दिया है। जल-जीवन-हरियाली अभियान, सात निश्चय (हर घर नल का जल, हर घर पक्की गली-नालियां), बाढ़ सुरक्षा कार्य और मनरेगा के तहत योजनाएं सोशल डिस्टेंसिंग के तहत शुरू की गई हैं। हमने उन किसानों के लिए कृषि सब्सिडी के लिए 578.42 करोड़ रुपये भी जारी किए हैं जिनकी फसल फरवरी और मार्च में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण खराब हो गई थी। हमने शिक्षा विभाग की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए डीबीटी के जरिए से एक करोड़ छात्रों के लिए कुल 3,102 करोड़ रुपये दिए हैं। हमने राज्य के सभी पेंशनभोगियों को विभिन्न पेंशन योजनाओं के तहत तीन महीने की पेंशन भी दी है। कुल 1,017 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं

चुनिन्दा खबरें ... साभार: हिंदुस्तान टाइम्स

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