प्रदर्शनकारियों ने कैसे बरसाए पत्थर – बचने के लिए ट्रक के पीछे लटके रहे एएसपी

राजस्थान के डूंगरपुर जिले में शिक्षक पदों पर भर्ती को लेकर कांकरी डूंगरी पहाड़ी पर 17 दिन से चल रहे युवाओं के धरने-प्रदर्शन का गुरुवार को उग्र होना पुलिस पर भारी पड़ा। ऊंचाई वाले स्थान पर डटे प्रदर्शनकारियों ने मौके पर पहुंची पुलिस पर इतने पत्थर बरसाए कि पुलिसकर्मियों को अपना बचाव कर पाना मुश्किल हो गया। पथराव में गंभीर रूप से घायल हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गणपत महावर को एक ट्रक के पीछे लटक कर जैसे-तैसे वहां से निकलना पड़ा। महावर ने बताया कि जैसे ही पुलिस मौके पर पहुंची हाईवे पर अचानक चारों ओर से पथराव शुरू हो गया। इस दौरान लोगों की भीड़ बहुत ज्यादा थी और पुलिस बल कम। देखते ही देखते पथराव से पुलिस वाले जख्मी होने लगे। पत्थर मुझे भी लगने शुरू हुए। थोड़ी ही देर में मेरे सिर और पैर भी पत्थरों से जख्मी हो गए। मैं उठ भी नहीं पा रहा था।

एएसपी ने बताया कि मुझे बचाने के लिए पुलिसकर्मियों ने घेरा बनाया। मेरा गनमैन मेरी ढाल बनकर बचाव करता रहा। मैं एक ट्रक के पीछे लटक गया और करीब 15 किमी तक इसी हाल में एक होटल तक पहुंचा। चालक को काफी देर तक पता ही नहीं था कि मैं ट्रक के पीछे लटका हूं। जब उसे पता चला तो मैंने थाने तक पहुंचा देने की गुहार की। वह मुझे एक होटल पर ले गया। होटल मालिक ने मुझे अस्पताल पहुंचाया। वहीं, डूंगरपुर में चल रहे आंदोलन को लेकर अब सियासत होने लग गई है।

इस मामले पर सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर टीएसपी क्षेत्र के आदिवासियों के लिए नियुक्ति की मांग की है। किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि एसटी अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के बजाय सरकार उनका दमन कर रही है। उनके आंदोलन को कुचलने का काम रही है। बेरोजगार आदिवासी लोकतांत्रिक ढंग से धरना दे रहे थे, उन पर बल प्रयोग कर रही है। सरकार को आगे आकर बेरोजगार आदिवासियों से बातचीत करनी चाहिए। यदि सरकार ने रवैया नहीं बदला तो मुझको भी सड़क पर आने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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