बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस ले लिया है। उनके इस फैसले के बाद चर्चा चल रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे मैदान में उतर सकते हैं। सुशांत सिंह राजपूत मौत केस में मुखर रहे गुप्तेश्वर पांडे के इस फैसले पर राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि पांडे ने महाराष्ट्र के खिलाफ जो राजकीय तांडव किया है, उसका उन्हें इनाम मिलने जा रहा है।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए संजय राउत ने कहा, ‘जो पार्टी उन्हें उम्मीदवार बनाएगी, उस पर लोगों का भरोसा नहीं रहेगा। महाराष्ट्र पर उनके ‘राजकीय तांडव’ के पीछे का एजेंडा अब स्पष्ट हो गया है। वह मुंबई मामले पर अपने बयानों के साथ एक राजनीतिक एजेंडा चला रहे था और अब उन्हें इसके लिए इनाम मिलने जा रहा है।’
भारतीय पुलिस सेवा से वीआरएस लेने के बाद मीडिया से बात करते समय गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि अभी उन्होंने किसी भी पार्टी को जॉइन करने को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। पांडे ने कहा कि जहां तक सामाजिक कार्यों की बात है तो बगैर राजनीति में गए भी वह काम मैं कर सकता हूं।
गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि कई लोग मुझे ट्रोल कर रहे हैं। सुशांत मामले से जोड़कर लोग देख रहे हैं। मेरे वीआरएस से सुशांत मामले का कोई लेना देना नहीं है। मैंने सुशांत के निराश और हताश पिता की मदद की लेकिन मेरी सीबीआई की अनुशंसा पर भी सवाल उठे, जो सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहरा दिया। हमने हंगामा तब किया जब हमारी पुलिस के साथ गलत हुआ। मैंने सुशांत के इंसाफ के लिये लड़ाई लड़ी। लोग कह रहे हैं कि मैने सुशांत के मामले को उठाया, उसे लोग राजनीति से जोड़ रहे हैं जो गलत है।
गुप्तेश्वर पांडे 1987 बैच के आईपीएस अफसर हैं। संयुक्त बिहार में कई जिलों के एसपी और रेंज डीआईजी के अलावा वे मुजफ्फरपुर के जोनल आईजी भी रहे हैं। एडीजी मुख्यालय और डीजी बीएमपी का भी उन्होंने पद संभाला था। केएस द्विवेदी के सेवानिवृत होने के बाद फरवरी, 2019 में बिहार के डीजीपी नियुक्त किए गए थे।
गृह विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक 22 सितंबर, 2020 के अपराह्न से उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्रदान की गई है। उन्होंने मंगलवार को ही इसके लिए आवेदन दिया था। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए कम से कम तीन महीने पूर्व आवेदन किए जाने के नियम को शिथिल करते हुए राज्य सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया।
आईजी के पद पर रहते हुए गुप्तेश्वर पांडेय ने साल 2009 में वीआरएस ले लिया था। तब उनके बक्सर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की चर्चा थी। हालांकि बाद में वे किसी भी दल से चुनावी मैदान में नहीं उतरे और वीआरएस को भी वापस ले लिया था।