केंद्र और राज्य सरकार मोबाइल एप के जरिए सड़क हादसों को रोकेंगी। बरेली समेत प्रदेश के 16 जिलों में इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आई रैड) को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जा रहा है। आईआईटी मद्रास ने विश्व बैंक की मदद से इस एप को तैयार किया है। फोटोग्राफ-वीडियो और लोकेशन के जरिए दुर्घटना की वजह का पता किया जाएगा। खामियों को दूर कराकर हादसों को रोका जाएगा।
आईआईटी मद्रास ने आई रैड मोबाइल एप को तैयार किया है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने यूपी में बरेली समेत 16 ऐसे जिलों को चुना है, जहां दुर्घटना अधिक होती हैं। यहां पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एप्लीकेशन का इस्तेमाल होगा। एप को हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषा में लागू किया जाएगा। आई रैड को लागू कराने की जिम्मेदारी पुलिस-आरटीओ और एनआईसी पर रहेगी। किसी भी सड़क पर दुर्घटना के बाद मोबाइल एप्लीकेशन में पूरी डिटेल फीड करनी होगी। दुर्घटना का समय, तारीख, लोकेशन, एक्सीडेंट वाली गाड़ियों की डिटेल और नुकसान समेत कई जानकारी देनी होंगी।
एप पर दुर्घटना के फोटो और वीडियो भी भेजने होंगे। एप के जरिए डाटा लोकल पुलिस के साथ आईआईटी मद्रास पहुंचेगा। इसके बाद दुर्घटना वाली सड़क और जगह का विश्लेषण किया जाएगा। सड़क पर यदि कोई खामियां पाई गईं तो उसे सुधारने के सुझाव दिए जाएंगे। इस एप के संबंध में आईआईटी के एक्सपर्ट दो दिन से पुलिस-आरटीओ और एनआईसी के अधिकारियों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दे रहे थे। शुक्रवार को ट्रेनिंग पूरी हो गई।
आईआईटी के सुझाव पर अमल होगा
आईआईटी मद्रास के सुझाव आने के बाद पीडब्ल्यूडी-परिवहन विभाग के एक्सपर्ट दुर्घटना के स्थल का दौरा करेंगे। सड़क का डिज़ाइन और दूसरी खामियों को दूर कराएंगे।
इन जिलों में लागू होगा इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस
बरेली, लखनऊ, अलीगढ़, प्रयागराज, मुरादाबाद, गोरखपुर, कानुपर नगर, मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, आजमगढ़, वाराणसी, मथुरा, आगरा और गौतमबुद्ध नगर ।
दो दिन का ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरा हो गया। अब एनआईसी पुलिस और आरटीओ के अधिकारी-कर्मचारियों को आई रैड के इस्तेमाल की ट्रेनिंग देगा। तकनीकी दिक्कतों को दूरा कराएगा।
मनोज शर्मा, तकनीकी निदेशक, एनआईसी
आईआईटी मद्रास के एक्सपर्ट ने आई रैड के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी है। आईआईटी के लिंक के जरिए हमनें एप को डाउन लोड कर लिया है। उम्मीद है बहुत जल्द आई रैड लागू हो जाएगा। एप सड़क हादसों को कम करने में कारगर साबित होगी।
अनिल गुप्ता, आरटीओ