कोरोना जांच किट की खरीद में अमेठी जिले में भी गड़बड़झाला सामने आ रहा है। कोरोना संबंधी जांच के लिए किट की खरीद तो जिले में भी की गई। हालांकि हर ब्लाक में इसके दाम अलग-अलग हैं। पंचायती राज विभाग का दावा है कि किट खरीदते ही स्वास्थ्य कर्मियों को सौंप दी गई। जबकि प्रधानों को कहना है कि उन्होंने किट के दर्शन तक नहीं किए। अब जब उन्हें बिल थमाया जा रहा है तो उन्हें पता चल रहा है कि ऐसी कोई खरीद भी हुई है।
प्रदेश स्तर पर इस समय कोरोना जांच किट में गड़बड़ी का मामला गरमाया हुआ है। ऐसे में अब अमेठी में भी किट की खरीद की बात सामने आ रही। हिंदुस्तान के हाथ लगे एक बिल को आधार मानें तो सिंहपुर ब्लाक में 3610 रुपए में तीन सामग्रियों की खरीद की गई है। इस बिल में इंफ्रारेड थर्मामीटर 1850 रुपए का, पल्स ऑक्सीमीटर 1660 रुपए और दो सैनिटाइजर 50-50 रुपए में खरीदे गए हैं।
सबसे मजेदार बात है कि आपूर्ति करने वाली संस्था कपड़े का व्यवसाय करती है और उससे भी बड़ी बात यह है कि ग्राम प्रधान को यह पता ही नहीं कि इन सामग्रियों की आपूर्ति कब किसके द्वारा और किसको की गई है।
बाकी ब्लॉकों में भी यह बात अब निकल कर सामने आ रही है। कुछ जगहों पर सामानों की आपूर्ति करने के बाद अब तक बिल ही नहीं प्राप्त हो सका है। हालांकि जिले में सबसे बड़ी गनीमत की बात यह है कि जुलाई और अगस्त महीने में ग्राम पंचायतों से सामुदायिक शौचालय और पंचायत भवनों के निर्माण के अतिरक्ति अन्य सभी मदों में भुगतान को लेकर डीपीआरओ के स्तर से रोक लगा दी गई थी। इससे एक बात तो साफ है कि किसी भी प्रकार के बिल का भुगतान अब तक नहीं हो सका होगा।
जांच किट का बिल भुगतान के लिए प्रधानों को भले ही थमाया जा रहा हो लेकिन सच्चाई यह है कि प्रधानों ने वह किट देखी तक नहीं है। यही वजह है कि कई प्रधानों ने बिल का भुगतान करने से साफ मना कर दिया है।
इस संबंध में डीपीआरओ श्रेया मिश्रा ने बताया कि यह संज्ञान में आया है कि ग्राम पंचायतों द्वारा किट की खरीद की गई है। उसे स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों पर ही दे दिया गया। हालांकि कुछ ग्राम पंचायतों को छोड़कर अभी कहीं भुगतान की बात सामने नहीं आई ह