कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए से एक बार फिर से मुख्यमंत्रियों के साथ लॉकडाउन को लेकर चर्चा की। इसस दौरान हिमाचल और मेघालय को छोड़कर सभी राज्यों ने लॉकडाउन को खत्म करने की सलाह दी। संक्रमण के चलते जारी लॉकडाउन के दौरान उनकी मुख्यमंत्रियों के साथ यह तीसरी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग है। बैठक में तीन मुद्दों पर चर्चा हुई है। एक, राज्यों में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति और रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयास। दूसरे 20 अप्रैल से गृह मंत्रालय द्वारा प्रदत्त छूटों के क्रियान्वयन पर राज्यों का फीडबैक और तीसरे, तीन मई के बाद की क्या रणनीति हो।
देश में कोरोना संकट की शुरुआत के बाद 22 मार्च से अब तक प्रधानमंत्री मोदी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चार बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक कर चुके हैं। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय एवं अन्य संबद्ध मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने शिरकत की। इसके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन सहित विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया।
कोरोना वायरस पर जारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हुए। वहीं, इस चर्चा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। हालांकि इस दौरान राज्यों की तरफ से भी अपने मुद्दे रखे गए। इनमें आर्थिक पैकेज की मांग प्रमुख हैं।
-चर्चा के दौरान मेघालय के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से लॉकडाउन को तीन मई के आगे बढ़ाने का सुझाव दिया।कोरोना वायरस को लेकर जारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन शामिल नहीं हुए हैं। एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा कि केरल ने अपने सुझाव लिखित में दिए हैं।
-उत्तराखंड के सीएम ने कहा कि पर्यटन और तीर्थयात्री लॉकडाउन से बहुत प्रभावित हुए हैं। पीएम के हस्तक्षेप से हम जल्द ही अपने उद्योग और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित कर पाएंगे। सभी एहतियाती उपायों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, व्यापार और व्यापार गतिविधियां चरण-वार तरीके से शुरू होनी चाहिए। हमें धीरे-धीरे स्थिति को सामान्य करने के लिए लोगों के जीवन को आसान बनाना होगा। मिजोरम के मुख्यमंत्री ने इस बारे में बात की कि लॉकडाउन के बाद केंद्र के निर्देशों का किस तरह पालन होगा।
यह भी पढ़ें- बिहार का सबसे खतरनाक जिला बना मुंगेर, यहां रोज फूट रहे ‘कोरोना बम’
-पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने राज्य के स्वास्थ्य संबंधी योद्धाओं के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) और अन्य चिकित्सा उपकरण प्रदान करने के लिए केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने तीन मई को लॉकडाउन खत्म होने पर उद्योग शुरू करने की इच्छा व्यक्त की और कोविद -19 से लड़ने के लिए भारत सरकार से वित्तीय सहायता मांगी।
-ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि वह लॉकडाउन जारी रखने के पक्ष में हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि आर्थिक गतिविधियों को इजाजत दी जाए। पटनायक ने कहा, “मैं केंद्र सरकार से विनती करता हूं कि हम अर्थव्यवस्था के उपायों को शुरू करें क्योंकि हम बीमारी पर लगाम लगाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार शाम जारी आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना रोगियों की संख्या बढ़कर 26917 हो गई है। इस बीच 5914 लोगों को अस्पताल से छुटी दी जा चुकी है। सरकार का दावा है कि कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने के प्रतिशत में भी लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है तथा यह बढ़कर 21.90 फीसदी तक पहुंच गया है। बाकी 20177 लोगों का देश के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। उधर, कैबिनेट सचिव ने भी राज्यों के मुख्य सचिवों एवं पुलिस महानिदेशकों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात की। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में ज्यादा मामले हैं, वे लॉकडाउन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराएं तथा चिकित्सा सेवाओं को मजबूत बनाएं।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को ‘मन की बात’ के जरिये देश को संबोधित किया और कोरोना को लेकर अति-आत्मविश्वास से बचने को कहा। कोरोना वायरस कहर के बीच रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई देश की जनता लड़ रही है। उन्होंने कहा कि भले ही कारोबार हो, कार्यालय की संस्कृति हो, शिक्षा हो या चिकित्सा क्षेत्र हो, हर कोई कोरोना वायरस महामारी के बाद की दुनिया में बदलावों के अनुरूप ढल रहा है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया का अनुभव हमें बहुत कुछ सीखा रहा है, इसलिए हमें अति-आत्मविश्वास नहीं पालना चाहिए, क्योंकि कोरोना से सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी।