शीघ्र ही नेगेटिव से पॉजिटिव होती दिखेगी भारत की जीडीपी–सारांश कनौजिया संपादक मातृभूमि समाचार
वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी – 23.9 प्रतिशत रही। आरबीआई ने इसकी सम्भावना पहले ही व्यक्त कर दी थी। इस आकड़े के आने के बाद हमें कितनी चिंता करने की जरुरत है, इसको समझना होगा। भारत में कोरोना के कारण 24 मार्च 2020 को सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा हुई थी। इसके बाद 1 जून से अनलॉक की शुरुआत हुई। अभी भी उद्योग पूरी तरह से काम करना शुरू नहीं कर सके हैं। जब उद्योग धंधे बंद थे, तो जीडीपी के अच्छे आंकड़े आने की उम्मीद करना दिवास्वप्न से कम नहीं है। कोरोना एक विश्वव्यापी संकट है, इस कारण शेष देशों की स्थिति का असर भी भारत पर पड़ा है। अभी तक विदेशों से व्यापार अपनी पुरानी स्थिति में नहीं पहुंच सका है। ऐसे में लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था नेगेटिव रही है।
उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट है कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था संकट में है। तो क्या हम इस संकट से निकल पाएंगे? इसमें कितना समय लगेगा? यह विचार करने का विषय है। मेरे अनुमान के अनुसार हम इसी आर्थिक वर्ष में संकट से निकल जायेंगे और अगले आर्थिक वर्ष में फिर से अपनी पुरानी स्थिति में वापस आ जायेंगे, जो और देशों से कहीं अच्छी स्थिति होगी। पहली तिमाही में कृषि विकास दर अच्छी रही। भारत की 60 प्रतिशत जनसँख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है, जिसके कारण कृषि विकास दर एक अच्छा संकेत है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के अनुसार फरवरी 2020 में उसके पास 10.21 लाख पंजीकरण हुए थे, जो संख्या मई में घटकर 1.72 लाख तक पहुंच गई थी, लेकिन जून में अनलॉक के मात्र 1 माह में यह संख्या बढ़कर 6.55 लाख हो गई।
आर्थिक वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही के 2 माह जुलाई और अगस्त बीत चुके हैं। यदि इन महीनों में आर्थिक प्रगति को देखें, तो आपको भी थोड़ा और बल मिलेगा। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के अनुसार अप्रैल 20 में व्यक्तिगत अंशधारकों की संख्या 3.8 करोड़ थी, जो अगस्त में बढ़कर 4.6 करोड़ हो गई अर्थात लगभग 80 लाख लोग बढ़ गए। इससे पता चलता है कि रोजगार बढ़ रहा है। आईटी, दवा और रियल एस्टेट सेक्टर में नौकरियां बढ़ी हैं। केमिकल और सीमेंट कंपनियों का मुनाफा 50 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ा है। जैसे-जैसे अनलॉक की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, ई-कॉमर्स कंपनियों को भी काफी लाभ हो रहा है।
हमारा विदेशी पूंजी भंडार 500 अरब डॉलर के लगभग है, जबकि वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद संभालने के समय यह 300 अरब डॉलर था। रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.9 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार अगले वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। आईएमएफ के अनुसार वर्ष 2021 में जहां विश्व की अर्थव्यवस्था 5.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, वहीं भारत की जीडीपी 7.4 प्रतिशत रहेगी।
उपरोक्त उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि 2020 में सुधार धीमा रहेगा और भारत की अर्थव्यवस्था 2021 में अपनी इस कमी को पूरा कर लेगी। आवश्यकता स्वयं पर विश्वास रखते हुए आगे बढ़ने की है। यदि आर्थिक वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भारत के आकड़े देखते हुए रेटिंग एजेंसियां कोई परिवर्तन करती हैं, तो भी मेरा अनुमान है की अंतिम तिमाही में भारत की जीडीपी नेगेटिव से पॉजिटिव हो चुकी होगी और इसका अंतर दूसरी तिमाही के परिणामों से ही देखने को मिलने लगेगा। सारांश कनौजिया संपादक मातृभूमि समाचार मोबाइल नं.: 8303063085
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