कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपने भाई राहुल गांधी द्वारा पिछले साल कही गई उस बात से सहमत हैं कि एक गैर-गांधी को ही कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए। यह दावा एक नई किताब में किया गया है। अमेरिकी शिक्षाविदों प्रदीप छिब्बर और हर्ष शाह द्वारा लिखित पुस्तक ”इंडिया टुमॉरो: कन्वर्सेशन विद द नेक्सट पॉलिटिकल लीडर्स” में प्रियंका गांधी के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस का अपना अलग रास्ता होना चाहिए।
प्रियंका गांधी ने किताब के लेखकों को दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा, “शायद (इस्तीफा) पत्र में नहीं, लेकिन कहीं और उन्होंने कहा है कि हममें से किसी को भी पार्टी का अध्यक्ष नहीं होना चाहिए और मैं उनकी बात से पूरी तरह सहमत हूं।” इस पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि प्रियंका गांधी की 15 महीने पुरानी टिप्पणी को नए सिरे से इंटरव्यू के रूप में पेश किया जा रहा है।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए पिछले साल 25 मई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। राहुल गांधी अपने फैसले पर अडिग रहे और पिछले साल 3 जुलाई को अपने इस्तीफे पर अंतिम मुहर लगा दी।
सीडब्ल्यूसी की बैठक में, राहुल गांधी ने दिग्गज नेताओं पर अपने बेटों को पार्टी के हितों से ऊपर को रखने पर नाराजगी जाहिर की थी और यह भी उल्लेख किया था कि कुछ नेता सिर्फ इसलिए अपने गढ़ में ही चुनाव हार गए थे, क्योंकि उन्होंने पदों की ललक के लिए तथाकथित अगली पीढ़ी के एक वर्ग की आलोचना की थी।
उन्होंने सीडब्ल्यूसी से यह भी कहा कि एक गैर-गांधी को नए कांग्रेस प्रमुख के रूप में चुना जाना चाहिए। उसी बैठक में, प्रियंका गांधी ने जोर देकर कहा कि केवल एक व्यक्ति को चुनाव में हार के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। वह अपने भाई के साथ सहमत थीं कि एक गैर-गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहिए। इसके बाद कांग्रेस ने गैर-गांधी को अपने प्रमुख के रूप में तलाश करने की कोशिश भी की, लेकिन ऐसा करने में विफल रही।
10 अगस्त को सीडब्ल्यूसी की एक अन्य बैठक के बाद, इसके सदस्यों को देश के पांच क्षेत्रों के राज्य नेताओं के साथ बातचीत करने और पार्टी प्रमुख के नाम पर आम सहमति बनाने के लिए पांच ग्रुपों में विभाजित किया गया था। सोनिया गांधी उस ग्रुप में थीं जिन्होंने देश के पूर्वी क्षेत्र के नेताओं के साथ बातचीत की, राहुल गांधी पश्चिम के ग्रुप में थे। प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर, मनमोहन सिंह दक्षिण और अंबिका सोनी पूर्वोत्तर के लिए बने ग्रुप का हिस्सा थीं। वहीं, तब प्रियंका गांधी ने पार्टी को संभालने की उनकी मांगों को एकसिरे से खारिज कर दिया था।