भारत इस साल अक्तूबर में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की होने वाली प्लेनरी बैठक में आतंकी वित्त पोषण पर पाकिस्तान की पोल खोलेगा। आतंकियों की फंडिंग को रोकने में पाकिस्तान की निष्क्रियता को भारत द्वारा उजागर करने की संभावना है।
पाकिस्तान को अभी तक एफएटीएफ की 27-सूत्रीय कार्य योजना में से 13 शर्तों का पालन करना है, जिसमें आतंक के वित्तपोषण पर अंकुश, अभियोजन संगठनों के खिलाफ कानूनों का प्रवर्तन और कानूनी प्रणालियों में सुधार शामिल है।
पाकिस्तान जून 2018 से एफएटीएफ की ग्रे सूची में है। इसकी समीक्षा बैठक में नई दिल्ली 26/11 मुंबई आतंकी हमले और पुलवामा आतंकी हमले मामलों में इस्लामाबाद की निष्क्रियता को उजागर कर सकती है। साथ ही अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल हत्या का मामला भी उठाया जा सकता है।
पिछले महीने, वित्तीय निगरानी इकाई के महानिदेशक लुबना फारूक ने नेशनल असेंबली स्टैंडिंग कमेटी ऑन फाइनेंस को बताया कि देश अभी भी 27-बिंदु कार्य योजना में से 14 पर पूरी तरह से अनुपालन कर रहा है और कहा कि उसे शेष बिंदुओं पर कार्यान्वयन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। अगले आठ दिनों में, एफएटीएफ की 30 सिफारिशों का पालन करना होगा।
इससे पहले, भारत ने कहा था कि पाकिस्तान का एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ में बने रहना बताता है कि इस्लामाबाद ने आतंकी वित्तपोषण और उनके सुरक्षित ठिकानों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की है।