भारतीय नेवी के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के लिए इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने तीन वरिष्ठ वकीलों को ‘न्याय मित्र’ घोषित किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान से कहा है कि भारत सरकार और जाधव को एक बार फिर बचाव के लिए काउंसिल तैनात करने का मौका दिया जाए। न्याय मित्र वह वकील होता है जिसे किसी मामले में सहायता करने के लिए अदालत द्वारा नियुक्त किया जाता है।
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद हाई कोर्ट डिविजन बेंच में शामिल चीफ जिस्टिस अताहर मिनाल्लाह और जस्टिस मियानगुल हसन औरंगजेब ने इस केस में गैरजरूरी बयानों को लेकर चेतावनी दी। कोर्ट ने कहा कि जाधव से संबंधित कोई भी बयान देने से पहले फेयर ट्रायल को जरूर ध्यान में रखें।
कोर्ट ने कहा, ”हम आबिद मंटो, सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील हामिद खान और पाकिस्तान के पूर्व अटॉर्नी जनरल व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मखदूम अली खान को कानूनी सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त करते हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके।
अदालत के आदेश में कहा गया, ”हमें लगता है कि कमांडर जाधव की दोष सिद्धि और सजा की समीक्षा या उसपर पुनर्विचार करने की प्रभावी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए जाधव और भारत सरकार को कानूनी प्रतिनिधि की व्यवस्था करने तथा याचिका दायर करने का उचित अवसर दिया जाना चाहिए।”
इसमें कहा गया, ”इसलिए, हम इस चरण में खुद को कमांडर जाधव की ओर से किसी वकील को नियुक्त करने से रोक रहे हैं और पाकिस्तान सरकार को जाधव और भारत सरकार को संधिपत्र के अनुच्छेद 32 (1) (सी) और लागू कानूनों के अनुरूप कानूनी प्रतिनिधि की व्यवस्था के लिए मौका देने की सलाह देते हैं।” अदालत ने पाकिस्तान सरकार को इस आदेश की जानकारी भारत सरकार को देने का भी निर्देश दिया।
अटॉर्नी जनरल खान ने कहा कि उनका दरफ्तर इस संबंध में सरकार को सलाह देगा। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में निष्पक्ष ट्रायल को प्रतिबद्ध है। अटॉर्नी जनरल ने यह भी कहा कि जाधव का ध्यान रखा जा रहा है और उनका स्वास्थ्य अच्छा है। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने मौत की सजा का सामना कर रहे भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव के लिए वकील नियुक्त करने का भारत को ”एक और मौका” देने का पाकिस्तान सरकार को आदेश दिया। जाधव (50) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी एवं आतंकवाद के आरोप में अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी।
भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच मुहैया कराने से पाकिस्तान के इनकार करने के खिलाफ और उनकी मौत की सजा को चुनौती देने के लिए हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का रुख किया था। आईसीजे ने जुलाई 2019 में अपने आदेश में कहा था कि पाकिस्तान को जाधव की दोषसिद्धि और सजा की ”प्रभावी समीक्षा एवं पुनर्विचार” करना होगा। साथ ही, उसे बगैर विलंब किए भारत को राजनयिक माध्यम से उनसे संपर्क करने की अनुमति भी देनी होगी।