राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच राजस्थान पुलिस की जांच में सनसनीखेज खुलासा सामने आया है। अशोक गहलोत सरकार को गिराने की कथिथ साजिश की जांच कर रही राजस्थान पुलिस ने पाया है कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सचिन पायलट कैंप के विधायकों से जुलाई महीने में दो बार मुलाकात की है। जबकि बीजेपी कहती रही है कि उसका कांग्रेस के भीतर आपसी विद्रोह से कोई लेना-देना नहीं है। सोमवार को एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
नाम न जाहिर करने की शर्त पर इस जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘पूनिया ने 18 जुलाई और 29 जुलाई के बीच दो बार सचिन पायलट कैंप के विधायकों से मुलाकात की थी।’ उन्होंने कहा कि पहली मीटिंग 18 जुलाई से 20 जुलाई के बीच और दूसरी मीटिंग 28 जुलाई को हुई। ये दोनों मीटिंग हरियाणा के मानेसर में हुई थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या जांच में सतीश पूनिया का नाम सामने आया है, एसओजी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अशोक राठौर ने कहा कि मामले की जांच चल रही है और अब तक की गई जांच के निष्कर्षों से संबंधित विवरण का खुलासा नहीं किया जा सकता है।
गौरतलब है कि राजस्थान में सियासी संकट का परिणाम यह हुआ कि सचिन पायलट को कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया और गहलोत सरकार में उपमुख्यमंत्री पद भी चला गया। 12 जुलाई को सचिन पायलट और उनका समर्थन करने वाले 18 विधायकों ने गहलोत के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे और उन्हें हटाने के लिए कहा था।
हालांकि, पूनिया ने किसी भी बागी विधायकों से मुलाकात से इनकार किया है। उन्होंने कहा, ‘मैं कभी पायलट या किसी अन्य बागी विधायक से नहीं मिला। पुलिस सरकार की भाषा बोल रही है।’
बता दें कि इससे पहले 30 जुलाई को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के भाजपा प्रमुख पर आरोप लगाया कि वह सचिन पायलट गुट के विधायकों से गुप्त रूप से मिल रहे थे। उन्होंने पूछा था कि अगर भाजपा के नेता सरकार को गिराने की साजिश का हिस्सा नहीं हैं, तो वे रात में दिल्ली क्यों जाते हैं और फिर सुबह जल्दी लौट जाते हैं? वे चुपके से क्यों जाते हैं?
हालांकि, उसके अगले दिन पूनिया ने ट्वीट के जरिए इन आरोपों का खंडन किया था। उन्होंने लिखा, ‘ मैंने अशोक गहलोत का भाषण सुना। दिल्ली जाने में क्या गलत है। आप भी दिल्ली और मुंबई जाते हैं। मैं पार्टी के काम से दिल्ली जाता रहूंगा।’
पूनिया ने इस बात से भी इनकार किया कि वह तीन निर्दलीय विधायकों- सुरेश टांक (किशनगढ़), खुशवीर सिंह (मारवाड़ जंक्शन) और ओमप्रकाश हुडला (महुवा) के संपर्क में थे, जो जुलाई के पहले सप्ताह में बांसवाड़ा गए थे और बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर जिलों के कम से कम पांच विधायकों के संपर्क में थे।
एसओजी ने दावा किया था कि निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस विधायकों को गहलोत सरकार को गिराने के लिए पैसे की पेशकश की थी। विधायक खुशवीर सिंह, सुरेश टांक और ओमप्रकाश हुडला के मोबाइल फोन स्विच ऑफ थे।
एसओजी राज्य सरकार को गिराने के कथित प्रयास के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज तीन मामलों की जांच कर रही है। एसओजी, राज्य अपराध शाखा और आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के अधिकारी जांच कर रहे हैं।