चीन के साथ बढ़ती तनातनी के बीच अमेरिका एक तरफ जहां दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में सैन्य अभ्यास कर रहा है तो दूसरी तरफ बीजिंग को सख्त लहजे में चेतावनी भी दे रहा है। भारत के साथ हिंद महासागर में संयुक्त सैन्य अभ्यास के बीच अमेरिकी रक्षामंत्री मार्क टी एस्पर ने कहा कि चीन की तरफ से विवादित स्थल और उसके आसपास सैन्य अभ्यास उसकी प्रतिबद्धता से स्पष्ट रूप से असंगत है, जो 2002 में दक्षिण चीन सागर में पार्टियों के आचरण पर घोषणा की गई थी। हालांकि, हम ये उम्मीद करते हैं कि चाइना कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) अपने रास्ते को बदलेगी लेकिन हमें इसके विकल्प पर अवश्य तैयार रहना होगा।
इसके साथ ही, अमेरिकी रक्षामंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जो मौजूदा स्थिति बनी है उस पर अमेरिका की तरफ से करीबी नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा- हम वास्तव में भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति को काफी करीब से निगरानी रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि दोनों पक्षों की तरफ से तनाव को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
अमेरिकी रक्षा मंत्री ने भारत के साथ अपने सैन्य संबंधों के बारे में बताते हुए कहा यह दर्शाता है कि मजबूत नौसैन्य सहयोग और मुक्त व खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र के प्रति साझा प्रतिबद्धता है। अमेरिका रक्षा मंत्री ने कहा, “मैं 21 वीं सदी के सभी महत्वपूर्ण रक्षा संबंधों में से एक भारत के साथ अपने बढ़ते रक्षा सहयोग को उजागर करना चाहता हूं। हमने पिछले नवंबर में अपना पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास किया।”
उन्होंने कहा, “जैसा कि हमने आज कहा यूएसएस निमित्ज भारतीय नौसेना के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त सैन्य अभ्यास कर रहा है। यह मजबूत नौसैन्य सहयोग और मुक्त व खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शा रहा है।”
इससे पहले, चीन के साथ तनातनी के बीच अमेरिका ने विवादित दक्षिण चीन सागर में सैन्य अभ्यास किया। यह अमेरिका का एक महीने में दूसरी बार बड़ा सैन्य अभ्यास था, जिसमें बड़े युद्धपोतों ने हिस्सा लिया। इस दौरान यूएसएस रोनाल्ड और यूएसएस निमित्ज वाहकों को भी शामिल किया गया। सीएनएन ने यूएस पैसिफिक फ्लीट के बयान का हवाला देते हुए बताया था, “करीब 12 हजार अमेरिकी जवानों, दो विमान वाहक और उनके एस्कॉर्टिंग क्रूजर और विध्वंसक के साथ शुक्रवार को दक्षिण चीन सागर में अभ्यास कर रहे थे।” बयान में कहा गया है कि दोनों वाहक, जिनके अंदर करीब 120 से अधिक विमान तैनात थे, वे लड़ाई को लेकर तत्परता और कुशलता बनाए रखने के लिए सामरिक हवाई रक्षा अभ्यास कर रहे थे।