केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्रशासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के विषय पर विचार करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है। जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा पांच अगस्त, 2019 से निलंबित चल रही है जब केंद्र ने राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने की घोषणा की थी।
अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि अधिकारियों के विरुद्ध कोई अवमानना का मामला नहीं बनता क्योंकि उन्होंने शीर्ष अदालत के 11 मई के निर्देशों का पालन किया है।
पीठ में न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं। पीठ ने केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन से हलफनामे दाखिल करने को कहा जिनमें समिति के गठन और उसके फैसलों का विवरण हो।
शीर्ष अदालत केंद्रीय गृह सचिव अैर जम्मू कश्मीर प्रशासन के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन पर केंद्रशासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवाएं बहाल करने के बारे में विचार करने के लिए विशेष समिति बनाने के न्यायालय के 11 मई के आदेश की जानबूझ कर अवज्ञा करने का आरोप लगाते हुए यह याचिका दाखिल की गई।
न्यायालय ने 11 मई को जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने की याचिकाओं पर विचार करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में ‘विशेष समिति के गठन का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि केंद्रशासित प्रदेश के ‘आतंकवाद से त्रस्त रहने के तथ्य के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकारों को संतुलित तरीके से देखना होगा।