मध्यप्रदेश की तीन माह से अधिक पुरानी शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल का बहुप्रतीक्षित विस्तार कल (मंगलवार को) होने की पूरी संभावना है। मुख्यमंत्री चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा रविवार को भोपाल से दिल्ली रवाना हुए थे और उनकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा हुई है। बैठकों का दौर आज भी चल रहा है और सीएम चौहान की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे। देर रात तक सीएम चौहान वापस लौट आएंगे और मंगलवार को वह अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे।
विधानसभा में सदस्यों की संख्या के मान से राज्य में अधिकतम 35 मंत्री हो सकते हैं, जिनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। इस तरह मुख्यमंत्री चौहान अधिकतम 29 और विधायकों को मंत्री बना सकते हैं, हालाकि रणनीतिक तौर पर हमेशा मंत्रिमंडल में कुछ स्थान रिक्त रखे जाते हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में ज्योतिरादित्य सिंधिया की राय को तवज्जो और उनके समर्थकों को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिए जाने की पूरी संभावना है। अभी जो सूचनाएं मिल रही हैं, उसके अनुसार लगभग दो दर्जन नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है।
इस बीच मध्यप्रदेश की प्रभारी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मंगलवार सुबह लखनऊ से भोपाल पहुंचेंगी और पहले वह स्वयं शपथ ग्रहण करेंगी। उन्हें रविवार को ही मध्यप्रदेश के राज्यपाल पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। राज्यपाल लालजी टंडन के अस्वस्थ होने के चलते पटेल को यह प्रभार दिया गया है। पहले पटेल के सेामवार को भोपाल पहुंचने की संभावना थी, लेकिन आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अब वे मंगलवार सुबह ही भोपाल आएंगी।
भाजपा सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मंगलवार सुबह यहां पहुंचेंगे और वे रात्रि विश्राम करने के बाद बुधवार को भी यहां रहेंगे। वे भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो सकते हैं। सिंधिया इसके अलावा पार्टी नेताओं और अपने समर्थकों के साथ आगामी विधानसभा उपचुनावों के संबंध में चर्चा कर सकते हैं। राज्य में मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर काफी दिनों से कवायद चल रही है। नए मंत्रियों के नामों को लेकर वरिष्ठ नेताओं के बीच सहमति बनाने और केंद्रीय नेतृत्व को विश्वास में लेने के लिए सीएम चौहान रविवार को दिल्ली रवाना हुए थे। उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत भी गए हैं।
राज्य में मार्च माह के राजनैतिक घटनाक्रमों के चलते वरिष्ठ नेता सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था और उनके समर्थक 22 विधायकों ने भी विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। इन विषम स्थितियों में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 20 मार्च को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था और 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण ली थी। इसके पूरे एक माह बाद अप्रैल में पांच मंत्रियों को शपथ दिलाकर सीएम चौहान ने अपने मंत्रिमंडल का गठन किया। इसके बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होना था, लेकिन वह विभिन्न कारणों से लगातार टल रहा था।