एलआईसी का आईपीओ लाने के सरकार ने अब प्रक्रिया तेज कर दी है। भारतीय जीवन बीमा निगम के विनिवेश की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को परामर्श कंपनियों, निवेश बैंकरों और वित्तीय संस्थानों से 13 जुलाई तक आवेदन करने के लिए कहा। यह आवेदन एलआईसी के प्रस्तावित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की प्रक्रिया में परामर्श देने के लिए मांगे गए हैं।
सरकार का एलआईसी के आईपीओ को लेकर निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) की मदद के लिए आईपीओ से पूर्व दो सलाहकारों की नियुक्ति करने का प्रस्ताव है। माना जा रहा है कि यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में आवेदन पत्र जारी किया है। इसके मुताबिक सरकार ने आईपीओ लाने से पहले दीपम की मदद के लिए दो लेनदेन सलाहकारों को प्रक्रिया में शामिल करने का प्रस्ताव किया है।
इसके लिए प्रतिष्ठित पेशेवर परामर्श फर्म, निवेश बैंकर, मर्चेंट बैंकर, वित्तीय संस्थान या बैंकों से आवेदन मांगे गए हैं। उपरोक्त लोग इस काम के लिए आवेदन और बोलियां 13 जुलाई 2020 तक जमा करा सकते हैं। दीपम इन बोलियों को 14 जुलाई को खोलेगा।इसके लिए आवेदक के पास आईपीओ, रणनीतिक विनिवेश, अधिग्रहण और विलय गतिविधियों में कम से कम तीन वर्षका अनुभव होना चाहिए।
वहीं उसने कम से कम एक अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2020 के बीच कम से कम 5,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक के आईपीओ में परामर्श की भूमिका निभायी हो या उसका प्रबंधन किया हो। या फिर उसके पास इसी अवधि में 15,000 करोड़ रुपये के पूंजी बाजार के लेनदेन करने का अनुभव हो। गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण 2020-21 में एलआईसी के विनिवेश का एलान किया था। इसके लिए आईपीओ का रास्ता चुना गया।
ठाकुर ने पीटीआई-भाषा से कहा था कि सूचीबद्धता से एलआईसी के संचालन में पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलेगी और शेयर बाजार का विस्तार भी होगा। यह एलआईसी और इसके पालिसीधारकों के हक में ही होगा। वहीं फिच रेटिंग्स का मानना है कि जीवन बीमा निगम का आईपीओ आता है तो इससे पूरी इंश्योरेंस इंडस्ट्री को फायदा होगा। एलआईसी का आईपीओ आने के बाद देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी की जवाबदेही और पारर्दिशता में भी सुधार होगा और इसका फायदा संभवत: पूरी इंश्योरेंस इंडस्ट्री को मिलेगा।