सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाणे ने कहा कि मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि चीन के साथ हमारी सीमाओं पर स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। हम चीन के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं जो कोर कमांडर स्तर की वार्ता के साथ शुरू हुई है और स्थानीय स्तर पर समकक्ष रैंकों के कमांडरों की बैठकों के साथ इसका पालन हो रहा है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि हमारे द्वारा किए जा रहे निरंतर संवाद के माध्यम से हम (भारत और चीन) सभी कथित मतभेदों को खत्म कर लेंगे। उन्होंने कहा कि भारत-चीन सीमा पर सब कुछ नियंत्रण में है।
इससे पहले छह जून को भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की बातचीत हो चुकी है। इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया था तो वहीं, चीन का प्रतिनिधित्व कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया था। दोनों ही देशों की सरकारों ने बैठक के बाद सकारात्मक रुख जरूर अपनाया था, लेकिन जमीनी स्तर पर त्वरित परिणाम नहीं निकल सका है। ऐसे में दोनों देश सीमा विवाद को लेकर कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत को जारी रख सकते हैं।
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा था कि चीन के साथ वार्ता सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर जारी है। 6 जून की वार्ता बहुत सकारात्मक थी और दोनों देशों ने एक-दूसरे को आश्वस्त करते हुए जारी तनाव को सुलझाने के लिए वार्ता जारी रखने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा था, ‘देश का नेतृत्व मजबूत हाथों में है और हम भारत के गौरव और स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं करेंगे।’
इधर ,भारत ने चीन के साथ सीमा विवाद और उससे निपटने के प्रयासों पर अपने परंपरागत मित्र देश रूस और प्रमुख रणनीतिक साझेदार अमेरिका को भरोसे में लिया था। भारत ने बैठक के बाद इससे जुड़ी हुई जानकारी से दोनों देशों को अवगत कराया था। सूत्रों ने कहा था कि भारत ने पिछले कुछ महीनों में देश मे सभी बड़े घटनाक्रम पर मित्र देशों को जानकारी दी है और उन्हें भरोसे में लिया है। भारत और चीन के बीच पिछले महीने की शुरुआत में सीमा को लेकर विवाद शुरू हुआ था। पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब खराब हो गई थी, जब पांच मई को पेगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई।