लाेगों के लिए बॉर्डर खोल दिए लेकिन अस्पताल के दरवाजे बंद

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने यूपी के लोगों को एक तरफ राहत दे दी है तो दूसरी तरह आफत। दिल्ली सरकार ने फैसला लिया है कि सील किए गए दिल्ली के बॉर्डर सोमवार 8 जून से खोल दिए जाएंगे। इससे गाजियाबाद, नोएडा के लोग आसानी से दिल्ली आ-जा सकेंगे। वहीं अपने दूसरे फैसले में केजरीवाल सरकार ने तया किया है कि अब दिल्ली सरकार के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में केवल दिल्लीवासियों का ही इलाज किया जाएगा जबकि केंद्र सरकार के अस्पताल पहले की तरह सभी लोगों के लिए खुले रहेंगे और यह व्यवस्था कोरोना संक्रमण तक जारी रहेगी। इस फैसले तो नोएडा और गाजियाबाद के उन लोगों को परेशानी होगी जो दिल्ली में अपना इलाज करवाना चाहते हैं। 

बता दें कि यूपी के गाजियाबाद और नोएडा से रोजाना सैकड़ों लोग दिल्ली आते जाते हैं। इसमें नौकरीपेशा और बिजनेसमैन दोनों की तरह के लोग हैं। लॉकडाउन के बाद यूपी-दिल्ली बार्डर को पूरी तरह से सील कर दिया गया था। कुछ दिन दिल्ली की तरफ से बार्डर खोल दिए गए थे लेकिन बाद में कोराेना का संक्रमण बढ़ने के बाद बार्डर को फिर से बंद कर दिया गया था। हालांकि यूपी ने अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है कि वह बार्डर खोलेगा या नहीं।  

दिल्ली सरकार ने सोमवार को कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया है। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों और दिल्ली के प्राइवेट हास्पिटल में सिर्फ दिल्ली के लोगों का इलाज होगा। वहीं केंद्र सरकार के अस्पताल जैसे एम्स, सफरदरजंग और राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) में सभी लोगों का इलाज हो सकेगा, जैसा अब तक होता भी आया है हालांकि, कुछ अस्पताल जो विशेष सर्जरी करते हैं, जो कहीं और नहीं होती, उनको करवाने के लिए देशभर से कोई भी दिल्ली आ सकता है, उस पर रोक नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि पहले 60 से 70 प्रतिशत बाहर के लोग यहां के अस्पतालों में भर्ती होते रहे हैं लेकिन इस वक्त दिल्ली में समस्या है, कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में पूरे देश के लिए अस्पताल खोल दिए तो दिल्ली के लोग कहां जाएंगे। केजरीवाल ने बताया कि पांच डॉक्टरों की समिति बनाई गई थी जिन्होंने माना कि फिलहाल बाहर के मरीजों को रोकना होगा। केजरीवाल के मुताबिक, समिति ने कहा है कि दिल्ली को जून के अंत तक 15 हजार कोविड बेड चाहिए होंगे। फिलहाल दिल्ली के पास नौ हजार बेड हैं और अगर अस्पताल सबके लिए खोल दिए तो ये नौ हजार तीन दिन में भर जाएंगे। उन्होंने कहा कि 7.5 लाख लोगों ने उन्हें सुझाव दिए, जिसमें से 9० प्रतिशत ने कहा कि फिलहाल कोरोना संकट तक दिल्ली के अस्पताल केवल दिल्लीवालों के लिए होने चाहिए।

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