Alo Verma Jaunpur Bueauro,
भगवान जगन्नाथ का प्रादुर्भाव – सनातन धर्म का आध्यात्मिक दर्शन और धर्म के प्रति प्रेम और दिव्य श्रद्धा
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भगवान जगन्नाथ का प्रादुर्भाव पृथ्वी पर सतयुग में हुआ था इसलिए यह दिव्य कथा रामायण और महाभारत से पुरातन है किंतु यह कथा अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है । भक्तजन श्री जगन्नाथ मंदिर दर्शन के लिए जाते हैं किंतु कई भक्तों को यह नहीं पता कि भगवान जगन्नाथ के हस्त कमल और चरण क्यों नहीं है ? भगवान graphic मानवीय स्वरूप में पृथ्वी पर क्यों विद्यमान हैं ? लोग रथ यात्रा में सम्मिलित तो होते हैं किंतु उन्हें यह जानकारी नहीं है कि रथ यात्रा कब और कैसे आरम्भ हुई ? यह दिव्य कथा मुख्यतः ओदिशा तक सीमित रह गई है किंतु अब परम ब्रह्म महाप्रभु जगन्नाथ के आशीवार्द से हम उनकी प्राकट्य लीला और दिव्य कथा को हिंदी में उनके सभी भक्तों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं! इस कथा को देखने और सुनने से हमारे बच्चों और नवयुवकों को सनातन धर्म के आध्यात्मिक दर्शन (spiritual philosophy) की जानकारी मिलेगी – अपने धर्म के प्रति उनका प्रेम जागृत होगा और दिव्य श्रद्धा भी प्रस्फुटित होगी ।
जय जगन्नाथ 🙏