आलोक वर्मा, जौनपुर ब्यूरो,
मुआवजा वितरण में घोटाला
मुआवजा लेकर मालामाल होने वाले चार दर्जन काश्तकारों की भी बढ़ीं मुश्किलें
15 दिन जांच के बाद सीडीओ ने डीएम को सौंपी थी रिपोर्ट
जौनपुर। चार तहसीलों के 14 गांवों में एनएचएआई कार्यों में मुआवजा लेकर मालामाल होने वाले वाले 46 काश्तकारों की भी मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। बैंक से सभी खातेदारों की जानकारी मुहैया कराने के बाद अब यह देखा जा रहा है कि काश्तकारों ने कितना अधिक मुआवजा प्राप्त किया। यह रिपोर्ट मिलने के बाद सभी को धनराशि जमा करानी होगी। मामले को लेकर कानूनगो सहित, पांच पर एफआइआर की संस्तुति पहले ही की जा चुकी है।
घोटाले का यह पूरा मामला 22 अगस्त को सक्षम प्राधिकारी भूमि अधिग्रहण (सीएएलए) कार्यालय में जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ की छापेमारी के बाद सामने आया था। मछलीशहर से भदोही वायां जंघई मार्ग (एनएच 135-ए-बाइपास) व वाराणसी-लखनऊ वाया जौनपुर सुल्तानपुर (एनएच-731) मार्ग के निर्माण में 46 काश्तकारों को साढ़े चार करोड़ रुपये का फर्जी तरीके से मुआवजा बांटा गया है। 15 दिन चली जांच के बाद मुख्य विकास अधिकारी साईं तेजा सीलम ने रिपोर्ट शनिवार को जिलाधिकारी को सौंप दी है। इस मामले में दोषी पाए गए कानूनगो संतोष तिवारी, संविदा कंप्यूटर आपरेटर हिमांशु शर्मा, अनिल व बदलापुर के पूरामुकुंद निवासी अनुदेशक राहुल सिंह व बदलापुर के ही मिरसादपुर निवासी प्रीतम उर्फ मुलायम के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है।
सीआरओ गणेश प्रसाद की भी जिम्मेदारी तय की गई है। दोषियों पर कार्रवाई के बाद अब मड़ियाहूं, बदलापुर, मछलीशहर व. सदर तहसील के 14 गांवों के 46 काश्तकारों का लेखा-जोखा तैयार किया जा रहा है, जिससे उनके द्वारा ली गई रकम वापस कराई जा सके। दो आइएएस अधिकारियों ने मिलकर की जांचः भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के वितरण को लेकर शुरू हुए घोटाले की जांच जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ सहित दो आइएएस अधिकारियों ( ने मिलकर की। पूरे प्रकरण की जांच र के लिए मुख्य विकास अधिकारी स साईं तेजा सीलम को नामित किया गया, जिनके साथ ज्वाइंट मॅजिस्ट्रेट ईशिता किशोर भी लगाई गईं। ईशिता भी आइएएस अधिकारी हैं। एसडीएम सदर ज्ञान प्रकाश भी जांच टीम का हिस्सा रहे। घोटाले की तह तक जाने के लिए अधिकारियों ने दिन-रात एक किया। बैंक जाकर काश्तकारों को भेजी गई मुआवजे की राशि का विवरण इकट्ठा किया।