भारत-नेपाल विवाद: ओली ने राष्ट्रवाद से जोड़ा, विपक्ष असहमत

नेपाल में प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने नए नक्शे को राष्ट्रवाद से जोड़कर समर्थन हासिल करने की मुहिम चलाई है। भारत की कूटनीतिक पहल के चलते विपक्ष और मधेस समर्थक दलों की ओर से ओली पर दबाव बनाया जा रहा था। ये गुट भारत से बातचीत के जरिए समाधान के पक्ष में बताए जाते हैं। बुधवार (27 मई) को विपक्ष में सहमति न बन पाने की वजह से ही ओली संविधान संशोधन विधेयक पेश नही कर पाए थे। लेकिन राष्ट्रवाद के नाम पर विपक्ष ओली की मुहिम का खुलकर विरोध नहीं कर पा रहा है।

सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी मान रही है कि नेपाल में नए नक्शे को लेकर लोगों का दबाव विरोधी दलों को समर्थन के लिए मजबूर करेगा। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने संकेत दिया है कि जल्द नक्शे के लिए संविधान संशोधन दोबारा संसद में पेश किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा ओली भारत की कूटनीतिक पहल के बावजूद नए नक्शे पर पीछे हटने को तैयार नही हैं। सरकार के पास संशोधन कराने के लिए जरूरी बहुमत से नौ वोट कम है। केपी ओली द्वारा मंगलवार (26 मई) को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान, नेपाली कांग्रेस ने कहा था कि उन्हें पार्टी की कार्यसमिति द्वारा इसकी पुष्टि करनी होगी। सूत्रों का कहना है कि मधेसी दलों के पास 33 सदस्य हैं, जो अपनी मांगों के लिए दबाव डाल रहे हैं। इसमें नागरिकता मामले पर संशोधन करने की मांग शामिल है। नेपाली कांग्रेस पर नेपाल के नक्शे को लेकर अंदरूनी दबाव है। इसके चलते लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के विवादित क्षेत्रों को नक्शे में शामिल करने के मुद्दे को पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने नए नक्शे को सकारात्मक बताया है। लेकिन भारत के साथ बातचीत को लेकर नेपाल कांग्रेस का रुख सकारात्मक है। माना जा रहा है कि कूटनीतिक पहल का रास्ता खुला रखने के लिए ही नेपाली कांग्रेस ने मामले पर पार्टी की चर्चा शनिवार (30 मई) तक टाल दिया। सरकार शुक्रवार (29 मई) को दोबारा बिल पेश करना चाहती थी। नेपाली कांग्रेस भारत के साथ संबंधों को लेकर भी संजीदा है। उसका रुख आगे की रणनीति में अहम होगा। भारत की नजर लगातार वहां के घटनाक्रम पर है। चीन समर्थक छवि वाले ओली के विवादित कदम पर भारत सरकार पहले ही आगाह कर चुकी है।भारत नेपाल से कूटनीतिक स्तर पर सम्पर्क में है। इस संबंध में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा भारत सभी पड़ोसियों के साथ संपर्क बनाए रखने के पक्ष में है और इसके लिए रचनात्मक और सकारात्मक प्रयास होने चाहिए।

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