आलोक वर्मा, जौनपुर ब्यूरो,
फरार शूटर की गिरफ्तारी नहीं,जमानत पर छूटा आरोपी बना मास्टरमाइंड
शूटर को ले जाने के लिए मात्र एक पुलिसकर्मी की लगी थी ड्यूटी,जिम्मेदार कौन
प्लानिंग पेशी के दौरान भागने की,बाइक सवार के सटीक जगह इंतजार करने की और मात्र एक पुलिसकर्मी की ड्यूटी लगने की
जौनपुर। दीवानी न्यायालय परिसर में पेशी के दौरान फरार सभासद बाला लखंदर हत्याकांड का आरोपी शूटर जयदीप प्रकाश गायकवाड को अब तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी। अलबत्ता इस हत्याकांड में जमानत पर छूटे एकमात्र आरोपी उमेश गौड़ को पुलिस ने आरोपी को भगाने का मास्टरमाइंड बताते हुए गिरफ्तार कर अपनी पीठ थपथपा लिया। जबकि 1 फरवरी 2021 को हुए बाला लखंदर हत्याकांड में पुलिस ने खुलासा करते हुए मास्टरमाइंड उमेश चंद गुप्ता को बताया था। तत्कालीन एसपी ने हत्याकांड में 10 फरवरी को चारों आरोपी की गिरफ्तारी के बाद बताया था कि ओमचंद गुप्ता के भाई की हत्या और कई मामलों में आरोपित बन जाने के बाद बाला लखंदर से बदला लेने के लिए सोचा। उसने महाराष्ट्र के जयदीप प्रकाश गायकवाड, मड़ियाहू के रितेश सिंह से संपर्क किया। सैदनपुर के उमेश गौड़ को भी इसमें शामिल किया। बाद में रेकी शुरू की गई। 1 फरवरी को सही मौका पाकर हत्याकांड को अंजाम दिया गया। हो सकता है कि उमेश आरोपी जयदीप को भगाने में भूमिका अदा किया हो क्योंकि उस दिन वह भी पेशी पर आया था और पत्रावली पर हस्ताक्षर किया था लेकिन आरोपी शूटर तो अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
शुक्रवार को दीवानी न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ कोर्ट से पेशी के बाद जाते समय आरोपी शूटर जयदीप पेशाब करने के बहाने से पुलिस को चकमा देकर दीवाल फांद कर फरार हो गया। सड़क पर उसका साथी बाइक लेकर उसका इंतजार कर रहा था। पुलिस वाले जब तक दीवार फांदकर सड़क पर पहुंचते तब तक बाइक सवार जयदीप को लेकर फरार हो चुका था।
उल्लेखनीय है कि इस घटना के बाद लाइन बाजार के सिविल लाइन चौकी के एस आई सुरेश कुमार सिंह ने तीन पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया। पहला दीवानी न्यायालय सुरक्षा प्रभारी निरीक्षक अमित सिंह, दूसरा पेशी पर आरोपी को ले जाने वाला आरक्षी रामभरोस सिंह और तीसरा लाकप मुंशी मुख्य आरक्षी समरजीत तिवारी। समरजीत पर यह आरोप है कि उसने इतने गंभीर प्रकृति के अपराधी के साथ मात्र एक आरक्षी रामभरोस सिंह को ड्यूटी पर लगाया था। रामभरोस ने लापरवाही पूर्वक ड्यूटी किया जिससे जयदीप पुलिस अधीक्षक से फरार हो गया।न्यायालय सुरक्षा प्रभारी निरीक्षक अमित सिंह ने भी कर्तव्य पालन में लापरवाही बरता।
सवाल यह है कि शूटर आरोपी जयदीप ने जेल में रहते हुए या पेशी के दौरान यह प्लान कैसे बनाया कि वह अमुक समय पर भागेगा और बाहर सड़क पर बाइक सवार उसका इंतजार करेगा। जब वह दीवार पारकर सड़क पर पहुंचेगा तो वह बाइक सवार उसे लेकर निकल जाएगा। टाइमिंग और किस तरफ से भागना है, किस जगह बाइक सवार इंतजार करेगा, इतनी सटीक प्लानिंग जेल में रहते हुए या पेशी के दौरान की गई।
खास बात यह भी है कि इतने बड़े हत्याकांड के शूटर के लिए मात्र एक पुलिसकर्मी की ड्यूटी पेशी के समय लगाई गई थी। यह बातें कई सवालों को जन्म देती है और अनेक सम्भावनाओं को जन्म देती हैं।