गाजा के दक्षिणी इलाके में इजरायल के हमले में भारत के पूर्व सैनिक कर्नल वैभव काले की मौत

ब्यूरो,

गाजा के दक्षिणी इलाके में इजरायल के हमले में भारत के पूर्व सैनिक कर्नल वैभव काले की मौत

गाजा के दक्षिणी इलाके में इजरायल के हमले में भारत के पूर्व सैनिक कर्नल वैभव काले की मौत हुई। इजरायल और हमास के बीच गाजा में जारी युद्ध के बीच यह पहला मौका है, जब किसी भारतीय को जान गंवानी पड़ी है। इस घटना को लेकर भारत ने चिंता भी जताई है। वैभव काले के शव को भारत लाने की तैयारी हो रही है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र संघ ने अहम खुलासा किया है, जिससे इस घटना में इजरायली सेना की गलती नजर आती है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता रोलान्डो गोमेज ने कहा कि यूएन ने पहले ही इजरायल को बता दिया था कि उस इलाके में हमारे काफिलों का मूवमेंट हो सकता है।

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने कहा, ‘यूएन ने इजरायली अथॉरिटीज को अपने काफिलों के मूवमेंट्स के बारे में बता दिया था। किसी भी मामले में ऐसा होता है। यह स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल है। ऐसा ही कल भी हुआ था और हमने इजरायली अथॉरिटीज को जानकारी दी थी। यही नहीं हमारे काफिले की गाड़ियों में यह भी लिखा था कि ये यूएन के वाहन हैं।’ वहीं इजरायल का कहना है कि हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इजरायल की सेना ने कहा कि हम इस मामले की जांच करेंगे। वैभव काले की मौत की संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने निंदा की है और इजरायल को कटघरे में खड़ा किया है।

वहीं न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन ने भी कर्नल काले की मौत पर दुख जताया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस घटना को लेकर कहा कि कल जो हुआ है, वह चिंताजनक है। गाजा में यूएन के वाहन पर हमले को लेकर हम चिंतित हैं। इस घटना में एक सहायताकर्मी की मौत हुई है और एक जख्मी है। अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के लोगों की सुरक्षा होनी चाहिए। वे लोग जीवन रक्षा में लगे हैं। हम इस घटना की पूरी जांच की मांग करते हैं। इस बीच संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने वाहन पर हुए हमले की जांच का फैसला किया है।

भारतीय पूर्व सैन्य अफसर वैभव काले संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा विंग में काम कर रहे थे। वह अपने एक सहकर्मी के साथ राफा के एक अस्पताल में जा रहे थे। इसी दौरान उनकी कार पर हमला हो गया। इसमें उनका एक साथी जख्मी हुआ है। बता दें कि राफा में अब इजरायल काफी अंदर तक घुस गया है। इसके चलते करीब साढ़े चार लाख लोग इलाके से पलायन कर चुके हैं।

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