केजरीवाल के समर्थन में उतरे देशों पर भड़के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत के जूडिशल को लेकर कहा कि किसी देश को उपदेश देने की जरूरत नहीं है। धनखड़ की यह टिप्पणी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई गिरफ्तारी पर अमेरिका और जर्मनी की टिप्पणी के मद्देनजर आई है। उपराष्ट्रपति ने आबकारी नीति ‘घोटाले’ से जुड़े मामले का जिक्र किए बिना कहा कि भारत में एक मजबूत न्यायिक तंत्र है।
एक बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में धनखड़ ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका निष्पक्ष, स्वतंत्र और “हमेशा तैयार” है। उन्होंने कहा, “दुनिया में ऐसे लोग हैं जो हमारे न्यायिक व्यवहार पर हमें उपदेश देना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) पर एक कहानी बनाई जा रही है।
धनखड़ ने कहा, ‘जमीनी हकीकतों से अनभिज्ञ एक संप्रभु मंच से कोई व्यक्ति हमें यह सबक सिखाने की कोशिश कर रहा है कि यह भेदभावपूर्ण है…आइए हम उनकी अज्ञानता का खंडन करें।’ कुछ पश्चिमी देशों ने इस कानून पर सवाल उठाए हैं, जिसके नियम हाल ही में अधिसूचित किए गए थे।
भारत ने बुधवार को एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को तलब किया और केजरीवाल की गिरफ्तारी पर वाशिंगटन की टिप्पणी को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया। भारत ने यहां 23 मार्च को जर्मन दूतावास के उपप्रमुख को भी तलब किया था और दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी पर उस देश के विदेश मंत्रालय की टिप्पणी पर कड़ा विरोध दर्ज कराया था।
सीएए पर जमीनी हकीकत नहीं जानते कई देश
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर सीख देने वालों को खारिज करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि इन्हें जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है। धनखड़ ने कहा कि भारत ने अपने लंबे इतिहास में कई धार्मिक समुदायों को शरण दी है। उन्होंने कहा कि सीएए के बारे में अज्ञानतापूर्ण टिप्पणियाँ करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और अन्य संस्थाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन टिप्पणियों को पुरजोर तरीके से खारिज किए जाने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सीएए हमारे पड़ोस में धार्मिक आधार पर सताए गए लोगों को राहत देने के लिए है। इससे किसी को भी नागरिकता से वंचित नहीं किया जा रहा है। सीएए के अंतर्गत नागरिकता के लिए 2014 की “कट ऑफ डेट” का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसका लाभ लेने के लिए लोगों को आमंत्रित नहीं किया जा रहा हैं। इसका लाभ उन्हें दिया जा रहा है जो पहले से ही इस देश में हैं। ये लोग एक दशक से अधिक समय से इस देश में हैं।