ब्यूरो,
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बुधवार को अकबरनगर वासियों को 31 मार्च की मध्य रात्रि तक समय दिया है। इस अवधि में अकबरनगर वासियों को अपना सामान स्थानांतरित करने की अनुमति मिल गई और इसके बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण घरों को ध्वस्त करने के लिए स्वतंत्र होगा। अदालत ने विकास प्राधिकरण को पीएम आवास के लिए पंजीकरण शुल्क 5000 रुपये से घटाकर 1000 रुपये करने का भी निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने बुधवार को खुली अदालत में फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि अकबर नगर 1 और 2 के सभी निवासी 31 मार्च की आधी रात को या उससे पहले विवादित परिसर खाली कर देंगे।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने यह भी आदेश दिया है कि दस साल में किश्तें न चुका पाने पर अगले पांच साल का और समय दिया जाएगा। इसके बावजूद किश्तें न चुका पाने पर मुख्यमंत्री को आवेदन दे सकेंगे। हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री को भी आदेशित किया है कि ऐसा आवेदन मिलने पर वह मुख्यमंत्री लाभार्थी कोष अथवा ऐसी किसी अन्य योजना के तहत वास्तविक जरूरतमन्द को राहत देंगे। हाईकोर्ट के आदेश का लाभ विस्थापित होने वाले उन निवासियों को भी मिलेगा जिन्होंने याचिकाएं नहीं दाखिल की थी।
कोर्ट ने 26 फरवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अकबर नगर के लगभग 74 बीपीएल कार्ड धारकों ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर अकबर नगर में विकास प्राधिकरण के बुलडोजर अभियान पर रोक लगाने की मांग की थी। क्योंकि झुग्गी का निर्माण अवैध रूप से सरकारी भूमि पर किया गया है।