रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 11 दिन का विशेष अनुष्ठान

ब्यूरो,

अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  11 दिन का विशेष अनुष्ठान शुरू कर रहे हैं। पीएम मोदी की ओर से शुक्रवार को एक्स पर पोस्ट के जरिए यह जानकारी दी गई। इसमें कहा गया, ‘अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में केवल 11 दिन ही बचे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं भी इस पुण्य अवसर का साक्षी बनूंगा। प्रभु ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा के दौरान, सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है। इसे ध्यान में रखते हुए मैं आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं। मैं आप सभी जनता-जनार्दन से आशीर्वाद का आकांक्षी हूं। इस समय, अपनी भावनाओं को शब्दों में कह पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मैंने अपनी तरफ से एक प्रयास किया है।’

प्रधानमंत्री की ओर से जारी संदेश में कहा गया, ‘शास्त्रों में देव प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा एक विशद और वृहद प्रक्रिया है। इसके लिए विस्तृत नियम बताए गए हैं जिनका प्राण प्रतिष्ठा के कई दिन पहले से पालन करना होता है। एक रामभक्त के रूप में प्रधानमंत्री राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के प्रति आध्यात्मिक साधना के भाव से समर्पित हैं।’ उन्होंने तय किया कि अपनी तमाम व्यस्तताओं और जिम्मेदारियों के बावजूद वो प्राण प्रतिष्ठा के दिन व उसके पूर्व के सभी नियमों और तपश्चर्याओं को उतनी ही दृढ़ता के साथ पालन करेंगे, जैसा कि शास्त्रों में निर्देश दिया गया है।

प्रधानमंत्री ने इसके लिए प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व 11 दिवसीय यम-नियम पालन का अनुष्ठान शुरू किया है। संदेश में आगे कहा गया कि देव प्रतिष्ठा को पार्थिव मूर्ति में ईश्वरीय चेतना के संचार का अनुष्ठान बताया गया है। इसके लिए शास्त्रों में अनुष्ठान से पूर्व व्रत के नियमों का निर्देश दिया गया है। प्रधानमंत्री अपनी दैनिक दिनचर्या में ब्रह्ममुहूर्त जागरण, साधना और सात्विक आहार जैसे नियमों का पालन तो अनवरत ही करते हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री ने सभी 11 दिवसीय अनुष्ठान के तौर पर कठोर तपश्चर्या के साथ व्रत लेने का निर्णय किया है।

नरेंद्र मोदी ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर प्रधानमंत्री की ओर से संदेश जारी किया गया है। इसमें पीएम मोदी ने कहा, ‘प्राण प्रतिष्ठा की मंगल घड़ी, चराचर सृष्टि का वो चैतन्य पल, आध्यात्मिक अनुभूति का वो अवसर… गर्भगृह में उस पल क्या कुछ नहीं होगा। शरीर के रूप में तो मैं उस पवित्र पल का साक्षी बनूंगा ही लेकिन मेरे मन में मेरे हृदय के स्पंदन में 140 करोड़ भारतीय मेरे साथ होंगे। आप मेरे साथ होंगे। हर रामभक्त मेरे साथ होगा। वो चैतन्य पल हम सबकी सांझी अनुभूति होगी।’ उन्होंने कहा कि मैं अपने साथ राम मंदिर के लिए जीवन को समर्पित करने वाले अनगिनत व्यक्तित्वों की प्रेरणा लेकर जाऊंगा। त्याग-तपस्या की वो मूर्तियां, 500 साल का धैर्य, दीर्घ धैर्य का वो काल, अनगिनत त्याग और तपस्या की घटनाएं, दानियों-बलिदानियों की गाथाएं…। कितने ही ऐसे लोग हैं जिनके नाम तक कोई नहीं जानता। मगर, उनके जीवन का एकमात्र ध्येय राम मंदिर का निर्माण ही रहा।

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