ब्यूरो,
भारत की अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री स्मृति इरानी पिछले दिनों सऊदी अरब के दौरे पर थीं। इस दौरान वह मदीना भी गई थीं और वहां हज की तैयारियों का जायजा लिया था। भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ पहुंचीं स्मृति इरानी ने सऊदी अरब के कुछ सीनियर नेताओं से भी मुलाकात की और जेद्दाह में आयोजित उमराह कॉन्फ्रेंस में भी हिस्सा लिया। इस विजिट की तस्वीरें स्मृति इरानी ने एक्स पर शेयर की हैं और बताया है कि वह मदीना की पवित्र अल मस्जिद अल नबवी और कुबा मस्जिद के बाहरी परिसर तक गई थीं। कुबा मस्जिद को इस्लाम की पहली मस्जिद माना जाता है। इसकी स्थापना पैगंबर मोहम्मद ने 622 ई. में की थी।
स्मृति इरानी के इस दौरे को लेकर पाक मीडिया को मिर्ची लग गई है और अब वह स्मृति इरानी के अलावा सऊदी अरब पर भी सवाल उठा रहा है। पाकिस्तानी अखबार द न्यूज की वेबसाइट ने तो स्मृति इरानी के पहनावे तक पर सवाल उठाया है। कुबा मस्जिद में किसी गैर-मुस्लिम की एंट्री पर मनाही है, लेकिन 2021 में नियमों में थोड़ा बदलाव हुआ था और अब गैर-मुस्लिम भी बाहरी परिसर तक जा सकते हैं। द न्यूज ने इसे भारतीय डेलिगेशन की विजिट न लिखकर हिंदू डेलिगेशन लिखा है, जो उसके सांप्रदायिक रुख को दिखाता है।
यही नहीं उसने लिखा, ‘इरानी के नेतृत्व में पहली बार कोई गैर-मुस्लिम डेलिगेशन मदीना गया है और उसने इस्लाम के ऐतिहासिक स्थानों का दौरा किया है। डेलिगेशन में दो महिलाएं थीं, जिन्होंने साड़ी और सलवार कमीज पहन रखी थी। इन लोगों ने सिर भी नहीं ढके थे। इसके अलावा स्मृति इरानी ने माथे पर बिंदी लगा रखी थी। इसके अलावा मंत्री वी. मुरलीधरण ने धोती और भगवा कुर्ता पहन रखा था।’ इस तरह पाकिस्तानी मीडिया ने स्मृति इरानी के दौरे को लेकर अपनी कुंठा जाहिर की है। बता दें कि भारत से सऊदी अरब की नजदीकियों को लेकर अकसर पाकिस्तान परेशान रहा है।
सऊदी अरब पर भी भड़का रहता है पाकिस्तान
कश्मीर के मुद्दे पर सऊदी अरब का समर्थन न मिल पाने पर तो उसने यहां तक कहा था कि हमारे मुस्लिम भाई भी कारोबार की वजह से चुप्पी साधे हुए हैं। बता दें कि स्मृति इरानी के नेतृत्व में डेलिगेशन सऊदी अरब में हज यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने गया था। इस साल भारत के लिए सऊदी अरब ने 1 लाख 75 हजार हज यात्रियों का कोटा तय किया है। हज यात्रा की तैयारियों को लेकर सऊदी अरब की ओर से गैर-मुस्लिम डेलिगेशन का स्वागत करना और स्मृति इरानी का मस्जिद के परिसर तक जाना अहम है। इसे दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ रिश्तों और सऊदी अरब के रवैये में बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।