कोरोना महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था पुरी तरह चरमरा गई है। हालांकि, इसका सबसे कम असर भारत,चीन और इंडोनिशिया पर होगा। अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। वहीं भारत की आर्थिक संभावनाओं को लेकर ‘सतर्कतापूर्ण आशावाद व्यक्ति करते हुए वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 2020- 21 की वास्तविक जीडीपी वृद्धि कोविड- 19 महामारी की तीव्रता, अवधि और प्रसार पर निर्भर करेगी। अमेरिकी कांग्रेस के स्वतंत्र शोध केंद्र ने कोविड-19 के वैश्विक आर्थिक प्रभावों के बारे में अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया की लगभग सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं कोरोना वायरस के प्रकोप से नुकसान में हैं, लेकिन केवल तीन देशों चीन, भारत और इंडोनेशिया की विकास दर 2020 में सकारात्मक रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप में जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, स्पेन और इटली में तीन करोड़ से अधिक लोगों ने सरकारी सहायता के लिए आवेदन किया है।
वर्ष 2020 की पहली तिमाही के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि यूरोक्षेत्र की अर्थव्यवस्था में 3.8 प्रतिशत की कमी हुई है, 1995 से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में हालांकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के उस नोट का जिक्र किया गया है जिसमें भारत की आर्थिक वृद्धि चालू वित्त वर्ष के दौरान 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अभी शुरुआती दिन हैं और कोविड- 19 अभी कम नहीं हुआ है। वर्ष 2020- 21 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि कोविड- 19 के देश की सीमाओं के भीतर इसके प्रसार, तीव्रता और समय पर निर्भर करेगी। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि में गिरावट का जोखिम वैश्विक सुस्ती के गहराने और आपूर्ति श्रृंखला के गड़बड़ाने से है। कोविड- 19 में तीव्र प्रसार और विभिन्न देशों में जारी लॉकडाउन से यह जोखिम खड़ा हुआ है। इसमें कहा गया है कि भारत कोविड-19 महामारी से सामने आए स्वास्थ्य संकट से निपट रहा है और अब अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की तरफ ध्यान दिया जा रहा है। सरकार और रिजर्व बैंक मिलकर अर्थव्यवस्था के प्रभावित क्षेत्रों को समर्थन देने के लिये राजकोषीय और मौद्रिक उपाय कर रहे हैं।